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टिहरी के होमस्टे में सजी मेहमाननवाज़ी, चारधाम यात्री ले रहे लोकसंस्कृति का आनंद

टिहरी के होमस्टे में सजी मेहमाननवाज़ी, चारधाम यात्री ले रहे लोकसंस्कृति का आनंद

चारधाम यात्रा के दौरान उत्तराखंड के टिहरी जनपद में होमस्टे संचालकों के चेहरे खिले हुए हैं। दीनदयाल उपाध्याय होमस्टे योजना के तहत संचालित होमस्टे में यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। तीर्थयात्री अब होटलों की बजाय गांवों में बने पारंपरिक होमस्टे को प्राथमिकता दे रहे हैं, जहां उन्हें स्थानीय संस्कृति और पहाड़ी व्यंजनों का अनोखा अनुभव मिल रहा है।

टिहरी का तिवाड़ गांव, जो गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच प्रमुख पड़ाव है, वहां यात्री सफर की थकान मिटाने के लिए होमस्टे में विश्राम कर रहे हैं। स्थानीय व्यंजनों जैसे झंगोरे की खीर, मंडुए की रोटी, गहत की दाल आदि यात्रियों को खूब पसंद आ रहे हैं। दोपहर का भोजन हो या रात्रि विश्राम, होमस्टे की मांग लगातार बढ़ रही है।

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स्थानीय लोगों को मिला रोजगार का अवसर

तिवाड़ गांव के होमस्टे संचालक मनोज पंवार ने बताया कि चारधाम यात्रा शुरू होते ही उनके रेस्टोरेंट और होमस्टे में यात्रियों की संख्या बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि 2022 में उन्हें सरकार से 35% सब्सिडी पर होमस्टे शुरू करने का मौका मिला था। अब यह सब्सिडी बढ़ाकर 50% कर दी गई है, जिससे और भी युवाओं को स्वरोजगार का मौका मिल रहा है।

महिलाओं के लिए बना आत्मनिर्भरता का जरिया

‘न्यू एकांत होमस्टे’ की संचालिका संगीता रावत बताती हैं कि वह अन्य राज्यों से आए यात्रियों को पहाड़ी व्यंजन परोसती हैं, जो उन्हें बेहद पसंद आते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की इस योजना से गांव की महिलाएं आत्मनिर्भर हो रही हैं और घरेलू उत्पादों से बनी चीजों को बेचकर अपनी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ कर रही हैं।

पर्यटकों ने सराहा स्थानीय प्रयासों को

चारधाम यात्रा पर आईं प्रोफेसर हेमलता ने बताया कि वह शिक्षा विभाग से जुड़ी होने के कारण कई बार उत्तराखंड आई हैं, लेकिन इस बार होमस्टे अनुभव विशेष रहा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा युवाओं और महिलाओं के लिए जो योजनाएं चलाई जा रही हैं, वे जमीन पर असर दिखा रही हैं।

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