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मदर्स डे : माता-पिता और गुरुओं का सम्मान करना चाहिए उनका तिरस्कार बहिष्कार नहीं :डॉ एमपी सिंह

मदर्स डे : माता-पिता और गुरुओं का सम्मान करना चाहिए उनका तिरस्कार बहिष्कार नहीं :डॉ एमपी सिंह

राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय भूपानी में मदर्स डे मनाते हुए देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि मां पहली गुरु होती है मां ही खाना -पीना, चलना- फिरना, उठना -बैठना, हंसना- बोलना, सिखाती है मां ही वस्तुओं की पहचान कराती है और मां ही रिश्तो के बारे में विस्तार पर्वक जानकारी देती है मां का स्थान सर्वोपरि होता है मां का कर्ज़ इस संसार में कोई नहीं चुका सकता है 

डॉ एमपी सिंह ने कहा कि हल्की सी छींक आने पर मां बेचैन हो जाती है जरा सा बुखार आने पर मां डॉक्टर के पास लेकर भागती है मां खुद में भूखा रहती है और बच्चे को अच्छे से अच्छा भोजन खिलाती है मां खुद में गीली पर सोती है लेकिन बच्चे को सूखे पर सुलाती है मां हजारों गलतियों को छुपा कर सच्चा प्यार देती है मां अपने बच्चे के लिए किसी से भी लड़ जाती है अपनी खुशियों का भी बलिदान कर देती है अपने बच्चे के बारे में किसी से बुराई नहीं सुनती है लेकिन फिर भी बड़े होने के बाद वही बच्चे मां की पीड़ा और वेदना नहीं समझ पाते हैं 

डॉ एमपी सिंह को बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि युवा पीढ़ी को समझना चाहिए खून के रिश्तो को ना समझ कर जरा सी बात पर अपने माता पिता को वृद्ध आश्रम छोड़ आते हैं यह उचित नहीं है

 डॉ एमपी सिंह ने कहा कि अपने माता पिता को कभी अपमानित और निर्लज्ज नहीं करना चाहिए अपशब्द नहीं बोलना चाहिए सीना चौड़ा कर मुकाबला नहीं करना चाहिए माता पिता के मन को समझना चाहिए उनके बलिदान को समझना चाहिए उनकी मेहनत की कद्र करनी चाहिए

 डॉ एमपी सिंह ने कहा कि सिर्फ मदर्स डे पर ही सम्मान नहीं बल्कि रोजाना सम्मान देना चाहिए मां अपने 10 बच्चों का भी मेहनत मजदूरी करके पेट भर देती है लेकिन 10 बच्चों पर एक मां का पेट नहीं भरा जाता है यह शिक्षा, सभ्यता और संस्कृति का अभाव है या जागरूकता का, समझ नहीं आता है 

डॉ एमपी सिंह ने कहा कि जितने भी इस पृथ्वी पर महापुरुष पैदा हुए हैं वह सभी मां के गर्भ से पैदा हुए संत- महात्मा, देवी -देवता, नेता -अभिनेता, वैज्ञानिक, आचार्य -प्राचार्य सभी मां के पेट से ही पैदा हुए आखिर एक न एक दिन सभी को माता पिता के रूप में आना ही पड़ता है इसलिए हम सभी को आने वाली पीढ़ी को संदेश देना चाहिए कि माता-पिता और गुरुओं का सम्मान करना चाहिए उनका तिरस्कार बहिष्कार नहीं करना चाहिए 

इस अवसर पर विद्यालय की छात्राओं और अध्यापकों ने मानव श्रृंखला बनाकर संकेत दिया कि हम सब एक हैं और नारी जाति के सम्मान के लिए हम हमेशा एक रहेंगे नारी अबला नहीं सबला है नारी कमजोर नहीं सब की ताकत और हिम्मत है सभी बहन बेटियों से पढ़ने की अपील भी की ताकि अपने कर्तव्य और अधिकार के बारे में जानकारी हासिल कर सके और मानव उत्पीड़न से बच सकें इस अवसर पर फिजिकल एजुकेशन की प्रवक्ता नीतू सिंह, गणित की प्रवक्ता रेखा चहल, अनीता चुग तथा कुसुम ने भी अपने विचार रखें

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