उत्तराखंडराजनीति

किस ओर जाएंगे हरक सिंह रावत

किसी शायर ने क्या खूब लिखा है

शायद मुझे निकाल कर पछता रहे हैं आप

महफ़िल में इस ख़्याल से फिर आ गया हूं में

 

इन दिनों हरक सिंह रावत इन लाइनों को बार-बार दोहरा रहे होंगे , क्योंकि इस वक्त पछता दोनों रहे हैं। हरक सिंह रावत को इस बात का पछतावा है कि उन्होंने कांग्रेस में जाने की सोची ही क्यों? और बीजेपी इस बात से पछता रही है कि अगर हरक कांग्रेस में चले गए तो गढ़वाल की सियासत में बीजेपी के लिए बड़ा झटका होगा लेकिन बीजेपी अपने इस कदम से बेहद खुश है जिसमें उसने हरक को बाहर का रास्ता दिखाया कम से कम हरक की अकड़ जमीन पर तो आई।

 

उत्तराखंड की सियासत में इन दिनों हरक सिंह रावत केबीसी खेल रहे हैं केबीसी यानी कौन बनेगा करोड़पति ,सवाल आखिर एक करोड़ का है कि हरक सिंह रावत किस पार्टी में जाएंगे क्या वह कांग्रेस ज्वाइन करेंगे ? या फिर बीजेपी में वापस आएंगे इन दिनों उत्तराखंड की सियासी फिजाओं में कुछ इसी तरीके के कयास बाजी का दौर जोरों पर है, भाजपा से बर्खास्त किए जाने के बाद हरक सिंह रावत की कांग्रेसमें जाने की अटकलें लगातार लग रही हैं हरीश रावत की माफी की शर्त पर हरक सिंह ने सार्वजनिक तौर पर माफी भी मांग ली लेकिन उसके बाद भी जिस तरीके से हरीश रावत ने हरक की एंट्री पर बैन लगाया है उसके बाद से अब अटकलों का बाजार एक बार फिर गर्म हो गया है की क्या हरक सिंह माफी मांग कर बीजेपी में वापस आ सकते हैं ? क्या बीजेपी उन्हें वापस लेने जा रही है इसके पीछे की कई वजह भी हैं अगर हरक सिंह रावत कांग्रेश गए भी तो उन्हें कांग्रेस चुनाव नहीं लड़ाएगी केवल उनकी बहू अनुकृति को ही टिकट देगी दूसरा उनके सबसे खासमखास सिपहसालार उमेश शर्मा काऊ उनका साथ पहले ही छोड़ चुके हैं वह कांग्रेस में जाने को अब तैयार नहीं है,

दूसरा बीजेपी ने भी हरक सिंह रावत की वापसी को लेकर अपने रास्ते अभी बंद नहीं किए हैं 59 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया गया है लेकिन कोटद्वार जहां से हरक सिंह रावत विधायक हैं उस सीट से अभी किसी प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं किया इसके साथ ही केदारनाथ जहां से हरक सिंह रावत चुनाव लड़ना चाहते थे उस सीट से भी अभी तक प्रत्याशी के नाम का ऐलान नहीं हुआ हां इतना जरूर है कि लैंसडाउन से हरक सिंह रावत की बहू को टिकट देने के रास्ते बीजेपी ने जरूर बंद कर दिए क्योंकि वहां से पुराने चेहरे दिलीप रावत को ही दोबारा प्रत्याशी बनाया है,

ऐसे में सवाल यह है कि क्या बीजेपी हरक की वापसी के रास्ते खोल कर चल रही है? क्या माफी मांगने पर हरक सिंह रावत को पार्टी पर वापस लिया जा सकता है?

सबसे बड़ी बात यह है कि हरक सिंह रावत को पार्टी से बर्खास्त करने के बाद भी बीजेपी के किसी भी बड़े नेता ने हरक के खिलाफ कोई आपत्तिजनक बयान नहीं दिया।

दूसरा हरक सिंह रावत ने भी बीजेपी से निकाले जाने के बाद भी सिर्फ विक्टिम कार्ड खेला और अमित शाह के प्रति अपनी प्रतिबद्धता बार-बार दोहराई।

जानकारी के मुताबिक हरक सिंह रावत एक बार फिर बीजेपी नेताओं के संपर्क में आ गए हैं उत्तराखंड में हरक की पूर्व सहयोगी कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल BJP मे हरक की वापसी के लिए लॉबिंग करने में जुटे हैं,

हरक सिंह रावत की भी प्रहलाद जोशी और मदन कौशिक से गुपचुप बात भी हुई है, ऐसे में अगर हरक सिंह रावत एक बार फिर भगवा रंग में रंगे नजर आए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी, लेकिन सवाल अब भी बरकरार है की अगर हरक बीजेपी में वापस आ गए तो अनुकृति का सियासी करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगा

l ऐसे में जिसके लिए हरक ने पार्टी से बगावत की वही हासिल नहीं हो पाएगा , यही वजह है की हरक पार्टी में वापसी को लेकर संशय में नजर आ रहे है ।

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