टिहरी : चैनलिंक घेरबाड़’ बनी किसानों की ढाल, उपजाऊ ज़मीन फिर हुई आबाद
टिहरी : चैनलिंक घेरबाड़’ बनी किसानों की ढाल, उपजाऊ ज़मीन फिर हुई आबाद

पहाड़ी जिलों में किसानों की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक रही है जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नुकसान पहुंचाना। इसी चुनौती से निपटने के लिए टिहरी गढ़वाल जिला प्रशासन ने ‘चैनलिंक घेरबाड़ योजना’ को सफलतापूर्वक लागू किया है, जिससे स्थानीय किसानों को राहत मिल रही है और कृषि क्षेत्र में नई जान फूंकी जा रही है।
जिलाधिकारी मयूर दीक्षित के मार्गदर्शन में कृषि विभाग द्वारा इस योजना को ज़मीन पर उतारा गया है। इसका मुख्य उद्देश्य है किसानों की फसलों को आवारा एवं जंगली जानवरों से बचाना। इससे खेती को फिर से लाभकारी और सुरक्षित बनाया जा रहा है।
122-122 घेरबाड़, 31 परिवार लाभान्वित
जनपद के विकासखंड जौनपुर के उनियाल गांव और हबेली गांव में वर्ष 2024-25 के अंतर्गत जिला योजना से 03-03 लाख रुपये की लागत से 122-122 चैनलिंक घेरबाड़ कराई गई है। इस योजना से उनियाल गांव के 18 परिवार और हबेली गांव के 13 परिवार सीधे लाभान्वित हुए हैं।
बंजर ज़मीन फिर से हो रही हरी-भरी
उनियाल गांव की किसान वंदना उनियाल बताती हैं कि, “हमारी ज़मीन बहुत उपजाऊ थी, लेकिन जंगली जानवरों के कारण खेती करना बंद करना पड़ा था। अब घेरबाड़ की वजह से फिर से खेतों में फसलें लहलहा रही हैं।”
वहीं, ग्राम प्रधान सुषमा देवी ने कहा कि गांव में अब जंगली जानवरों का आतंक लगभग समाप्त हो गया है। “अब बंजर खेतों में लोग दोबारा खेती कर रहे हैं और कृषि से आय भी बढ़ रही है,” उन्होंने बताया।
हाई वैल्यू क्रॉप्स की ओर बढ़ते कदम
मुख्य कृषि अधिकारी विजय देवराड़ी के अनुसार, इस योजना के तहत किसानों को फसलों की सुरक्षा मिली है और वे अब हाई वैल्यू क्रॉप्स यानी अधिक मुनाफे वाली फसलों की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि योजना की मांग लगातार बढ़ रही है और अगले चरण में इसे और गांवों में लागू करने की योजना है।
क्या है चैनलिंक घेरबाड़ योजना?
यह योजना किसानों के खेतों को चैनलिंक तारों से घेरकर जंगली जानवरों से फसल की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्यों में यह योजना खेती को फिर से जीवंत बना रही है।