टिहरी बांध की झील के कारण प्रभावित गांव भू-धंसाव की चपेट में, जोशीमठ जैसे हालात हो सकते हैं पिपोला गांव के
टिहरी बांध की झील के कारण प्रभावित गांव भू-धंसाव की चपेट में, जोशीमठ जैसे हालात हो सकते हैं पिपोला गांव के
टिहरी, (मुकेश रतूड़ी .) टिहरी बांध प्रभावित ग्राम पंचायत भटकंडा के लुणेटा तोक के 25 परिवारों का प्रतिकर भुगतान न होने पर ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन के प्रति गहरी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि गांव में भू-धंसाव से लोग परेशान हैं। मकान, जमीन पर दरारें पड़ी हुई हैं। लेकिन पुनर्वास विभाग और टीएचडीसी उनका भुगतान करने को तैयार नहीं है।
भटंकडा के प्रधान मधुबाला, पूर्व प्रधान प्रदीप भट्ट ने सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज को ज्ञापन भेजकर बताया कि गांव टिहरी बांध के कारण प्रभावित है। ग्रामीणों के दबाव के बाद वर्ष 2015-16 में पुनर्वास विभाग ने उनके भवनों का 70 प्रतिशत भुगतान कर दिया। साथ ही पेड़, जमीन और अन्य परिसंपत्तियों का मूल्यांकन भी किया। लेकिन अभी तक अवशेष भुगतान नहीं किया है। बताया कि सरकार ने सम्पार्श्विक क्षति नीति के तहत चिन्हित परिवारों के लिए 29.85 करोड़ रुपये स्वीकृत किए हैं। इसका प्रस्ताव छह माह पूर्व ही टीएचडीसी को भेजा गया। लेकिन अभी तक धनराशि पुनर्वास विभाग को नहीं दी गई है। बताया कि गांव के 4 परिवारों के भवन पूरी तरह टूट गए हैं, वह पड़ोस में शरण लिए हुए हैं। ऐसे में यदि शीघ्र प्रतिकर भुगतान नहीं किया गया तो स्थिति और खराब हो सकती है। उन्होंने टीएचडीसी को शीघ्र धनराशि जारी करने के निर्देश देने की मांग की है। इधर, बांध प्रभावितों-विस्थापितों के मामले की कोर्ट में पैरवी करने वाले अधिवक्ता शांति प्रसाद भट्ट ने कहा कि जेइसी (ज्वाइंट एक्सपर्ट कमेटी) की रिपोर्ट में टिहरी बांध की झील का जलस्तर घटने-बढ़ने के कारण पिपोला-खास गांव में दरारें पड़ने लगी हैं। यह चिंता का विषय है। कहा कि सरकार और टीएचडीसी को चाहिए कि समय रहते पिपोला गांव को विस्थापित कर दें। अन्यथा यहां भी जोशीमठ जैसे हालात पैदा हो जांएगे। सरकार को चाहिए कि संयुक्त विशेषज्ञ समिति का हर छह माह में बांध प्रभावित गांवों में सर्वे कराए। ताकि क्षति और स्थिति का आकलन किया जा सके।