नई टिहरी, मुकेश रतूड़ी,
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल महासरताल और सहस्त्र ताल शासन-प्रशासन की उपेक्षा का शिकार बने हुए हैं। पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए महासर और सहस्त्र ताल जाने वाला ट्रेकिंग रूट बदहाल बना हुआ है। पर्यटक स्वयं के रिस्क पर यहां की ट्रेकिंग कर रहे हैं। कई बार बाहरी प्रदेशों से आने वाले यात्री मार्ग भटक जाते हैं। ऐसे में यदि यहां पर सुविधाएं बेहतर की जाएं तो पर्यटकों की आमद में भारी वृद्धि हो सकती है। जो स्थानीय लोगों के रोजगार के लिए जरूरी है। इन तालों के आसपास बुग्याल, फूलों की घाटी, ग्लेशियर, झील और कई नैसर्गिक दृश्य हैं, जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
उत्तराखंड को प्रकृति ने भरपूर वरदान दिया है। ताल, बुग्याल, ग्लेशियर, चारधाम, मंदिर, घने वन और उपवन बरबस ही पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। भिलंगना ब्लॉक के महासरताल और सहस्त्र ताल एडवेंचर के साथ-साथ महाभारतकालीन कहानियों का भी हिस्सा है। शास्त्रों में वर्णित है कि द्वापर युग में पांडव यहीं से स्वर्ग के लिए गए थे। महासरताल में आज भी अर्जुन की कुर्सी, द्रोपदी की चौकी, अर्जुन का वाण आदि आज भी विराजमान हैं। वहीं सहस्त्र ताल में सैकड़ों तालाब हैं। देशी-विदेशी पर्यटक बड़ी संख्या में महासर और सहस्त्र ताल पहुंचते हैं। लेकिन यहां का ट्रेकिंग रूट लंबे समय से बदहाल बना हुआ है। पूर्व में जहां जिला पंचायत इसका रख-रखाव और मरम्मत करता था। अब पर्यटन और वन विभाग के जिम्मे सारी व्यवस्था है। घनसाली से तितरोणा तक मोटर मार्ग बना हुआ है। जहां से पर्यटक और ट्रेकर आसानी से वाहन से पहुंचते हैं। लेकिन तितरोणा से महासर ताल करीब 10 किमी की खड़ी चढ़ाई पर स्थित है। यहां जाने के लिए दशकों पुराना ट्रेकिंग रूट है। लेकिन उसकी हालत बहुत खराब है। यही स्थिति महासरताल से सहस्त्र ताल की भी है। यहां की दूरी 100 किमी के करीब है। पर्यटकों को दो दिन की ट्रेकिंग कर महासरताल से सहस्त्र ताल पहुंचना पड़ता है। स्थानीय निवासी धनपाल गुनसोला और चंद्रेश नाथ का कहना है कि शासन-प्रशासन को कई बार मार्ग के सुधारीकरण की मांग रखी है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती है। सरकार यदि सुविधा दे तो यहां पर्यटकों की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हो सकती है। इससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा और नए-नए पर्यटक स्थल भी विकसित होंगे। बताया कि महासर और सहस्त्र ताल के लिए ट्रेकिंग रूट के अलावा बूढ़ाकेदार से बेलक और बूढ़ाकेदार से पिंस्वाड़ होकर भी पहुंचा जा सकता है। लेकिन पर्यटक ट्रेकिंग रूट को ज्यादा महत्व देते हैं।
इनका क्या है कहना-
महासरताल व सहस्त्र ताल ट्रेकिंग रूट का प्रस्ताव वन विभाग को भेजा है। करीब 15 लाख रूपये की डीपीआर तैयार की गई है। फाइल बालगंगा रेंज कार्यालय के पास है। उम्मीद है कि वन विभाग से जल्द इसकी स्वीकृति मिलेगी। जल्द ही मार्ग की मरम्मत और सुधारीकरण किया जाएगा।
अतुल भंडारी, जिला पर्यटन अधिकारी।