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उत्तराखंड में पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया शुरू, त्रिस्तरीय चुनावों से पहले पूरी होगी

उत्तराखंड में पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया शुरू, त्रिस्तरीय चुनावों से पहले पूरी होगी

देहरादून: उत्तराखंड राज्य के 12 जनपदों (हरिद्वार को छोड़कर) की ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और परिसीमन की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों से पहले इस प्रक्रिया को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की विसंगतियों का समाधान किया जा सके।

**पुनर्गठन के मानक और प्रक्रिया:**

उत्तराखंड पंचायती राज अधिनियम 2016 के अनुसार, पर्वतीय क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों का गठन 500 की जनसंख्या पर और मैदानी क्षेत्रों में 1000 की जनसंख्या पर किया जाएगा। अधिकतम जनसंख्या सीमा पर्वतीय क्षेत्रों के लिए 2000 और मैदानी क्षेत्रों के लिए 10000 निर्धारित की गई है।

**समिति का गठन:**

जनपद स्तर पर पुनर्गठन प्रस्ताव तैयार करने, आपत्तियों के निस्तारण और अंतिम प्रकाशन के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इस समिति में मुख्य विकास अधिकारी, अपर मुख्य अधिकारी जिला पंचायत, और जिला पंचायतीराज अधिकारी सदस्य सचिव के रूप में शामिल हैं।

**समय सारणी:**

जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल द्वारा जारी की गई समय सारणी के अनुसार, 29 जुलाई को राजस्व ग्रामों की सूची प्राप्त की गई और 7 अगस्त तक पुनर्गठन प्रस्ताव प्राप्त किए जाएंगे। 8 से 12 अगस्त तक प्रस्तावों का परीक्षण और सूची तैयार की जाएगी, जबकि 13 अगस्त को अंतिम प्रकाशन किया जाएगा।

**आखिरी तारीखें:**

14 से 16 अगस्त तक पुनर्गठन प्रस्तावों पर आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी और 17 से 21 अगस्त तक आपत्तियों का निस्तारण किया जाएगा। 22 और 23 अगस्त को अंतिम प्रस्ताव निदेशालय को भेजे जाएंगे। नवगठित ग्राम पंचायतों के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की प्रक्रिया 27 से 30 अगस्त तक चलेगी और 31 अगस्त को अनंतिम सूची प्रकाशित की जाएगी।

**आपत्तियां दाखिल करने की प्रक्रिया:**

प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन प्रस्तावों पर 2 से 4 सितंबर तक आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी और 5 से 8 सितंबर तक उनका निस्तारण किया जाएगा। 9 सितंबर को परिसीमन प्रस्तावों का अंतिम प्रकाशन किया जाएगा और 10 सितंबर को प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की सूचियां निदेशालय को सौंप दी जाएंगी।

यह प्रक्रिया 2011 की जनगणना के आधार पर की जा रही है और इससे संबंधित आपत्तियां जिलाधिकारी कार्यालय, जिला पंचायतीराज अधिकारी कार्यालय, और विकासखंड कार्यालय में प्रस्तुत की जा सकती हैं। पंचायत चुनावों से पहले यह प्रक्रिया पूरी करने का लक्ष्य है ताकि सुचारू रूप से चुनाव संपन्न हो सकें।

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