टिहरी : ऊर्जा प्रदेश का सपना होगा साकार, सरकार की नीति के हिसाब से कार्य करेगी टीएचडीसी, देखिए Video क्या बोले निदेशक
आज भागीरथीपुरम में टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के अधिशासी निदेशक एलपी जोशी ने पत्रकार वार्ता की उन्होंने बताया की राज्य सरकार और टीएचडीसी ने मिलकर ज्वाइंट वेंचर कंपनी खोली है और इसके तहत उत्तराखंड में जो भी हाइड्रो प्रोजेक्ट बनेंगे वह सभी टीएचडीसी बनायेगी। इसके तहत राज्य सरकार के साथ करार हो चुका है।
इसके अलावा टीएचडीसी राजस्थान और उत्तरप्रदेश सरकार के साथ भी ज्वाइंट वेंचर कंपनी के तहत हाइड्रो और सोलर प्रोजेक्ट के कार्य कर रही है। राजस्थान में टीएचडीसी 10 हजार मेगावाट क्षमता का सोलर पार्क बना रही है और उत्तर प्रदेश में भी दो हजार मेगावाट का सोलर पार्क बना रही एलपी जोशी ने पत्रकार वार्ता में बताया कि टिहरी बांध के पंप स्टोरज प्लांट का काम अंतिम चरण में चल रहा है। 31 मार्च को पीएसपी की पहली यूनिट को बॉक्स अप कर दिया जायेगा और अप्रैल में दूसरी यूनिट को बॉक्स अप कर दिया जायेगा। 31 दिसंबर 2023 तक पीएसपी से बिजली उत्पादन शुरू कर दिया जायेगा। उसके बाद टिहरी बांध से बिजली उत्पादन भी बढ़ जायेगा। पीएसपी बनने के बाद हम पानी को ज्यादा स्टोर कर पायेंगे और जरुरत के हिसाब से ग्रिड को बिजली दे सकेंगे। पीएसपी के बनने के बाद टिहरी बांध का पानी हम सुविधानुसार पंप कर दोबारा से झील में ले जा सकेंगे। यह देश का बड़ा महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। बिजली को ग्रिड तक पहुंचाने के उद्देश्य से टीएचडीसी देश भर में बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। उन्होंने बताया कि टीएचडीसी को अरूणांचल प्रदेश में भी देमव लोवर में 1750 मेगावाट की और कलाई टू लोहित बेसिल में 1200 मेगावाट क्षमता की दो परियोजनायें मिली हैं। बिजली मंत्रालय ने अब लोहित बेसिल में सभी बिजली परियोजनाओं को टीएचडीसी को ही बनाने की जिम्मेदारी दी है। टिहरी बांध बनने से प्रभावित हुए गांव के सवाल पर अधिशासी निदेशक ने कहा कि उनके निरीक्षण के लिये संयुक्त विशेषज्ञ समिति गठित की गई है। समिति ने सभी गांवों का दौरा किया है। समिति की जो भी रिपोर्ट होगी और जिन स्थान पर झील के कारण नुकसान हो रहा है तो उसमें जो भी सरकार की नीति होगी उसके हिसाब से टीएचडीसी कार्य करेगी। प्रेसवार्ता के दौरान अपर महाप्रबंधक डा. एएन त्रिपाठी, जनसंपर्क अधिकारी मनवीर सिंह नेगी, दीपक उनियाल, आरडी ममगांई आदि मौजूद रहे।