टिहरी : खामोशी को मिली आवाज, प्रज्ञा फाउंडेशन का अनोखा अभियान
टिहरी : खामोशी को मिली आवाज, प्रज्ञा फाउंडेशन का अनोखा अभियान
टिहरी | अगर दिल में कुछ अलग करने का जज़्बा हो, तो कोई भी काम असंभव नहीं होता। इस बात को सच कर दिखाया है टिहरी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित की धर्मपत्नी प्रज्ञा दीक्षित ने। उन्होंने गरीब और जरूरतमंद महिलाओं की पीड़ा को समझते हुए प्रज्ञा फाउंडेशन की शुरुआत की, जिसने बहुत कम समय में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के जीवन में बड़ा बदलाव लाया है।
शुरुआत और उद्देश्य
प्रज्ञा दीक्षित ने बताया कि उन्होंने महिलाओं की उन तकलीफों को महसूस किया, जिन्हें वे जानकारी और संसाधनों के अभाव में झेलती हैं। विशेष रूप से, पीरियड्स के दौरान स्वच्छता न रखने के कारण कई महिलाएं यूट्रस कैंसर और सर्वाइकल कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाती हैं। इसी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रज्ञा फाउंडेशन का गठन किया गया।
महिलाओं को मिला स्वच्छता का समाधान
प्रज्ञा फाउंडेशन ने ग्रामीण महिलाओं के बीच जाकर जागरूकता अभियान चलाया।
सैनिटरी नैपकिन वितरण:
कामकाजी महिलाएं और गरीब महिलाएं जानकारी के अभाव में कपड़े, यहां तक कि सूखे पत्तों का इस्तेमाल कर रही थीं। इन महिलाओं को जागरूक कर फाउंडेशन ने मुफ्त सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराए।
“चेनल रेड” पहल:
प्रशासन के सहयोग से कूड़ा गाड़ियों में सेनेटरी नैपकिन के निपटान के लिए अलग कम्पार्टमेंट बनाए गए। इससे गंदे पैड का सुरक्षित निपटान हो सका। सालभर में करीब 06 टन गंदे नैपकिन एकत्रित कर सुरक्षित तरीके से नष्ट किए गए।
महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान
फाउंडेशन न केवल स्वच्छता बल्कि महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए भी काम कर रहा है:
आयरन की कमी से जूझ रही महिलाओं को जागरूक किया गया।
उन्हें आयरन की गोलियां वितरित की गईं ताकि खून की कमी को दूर किया जा सके।
स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से महिलाओं को गंभीर बीमारियों के लक्षण और रोकथाम के तरीकों के बारे में जानकारी दी गई।
सामाजिक परिवर्तन की ओर कदम
प्रज्ञा दीक्षित ने बताया कि शुरू में महिलाएं इस मुद्दे पर खुलकर बात करने से हिचकिचाती थीं। लेकिन लगातार प्रयासों और जागरूकता अभियानों के बाद महिलाएं अब न केवल खुलकर बात कर रही हैं, बल्कि स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक भी हो रही हैं।
रोजगार के अवसर और आत्मनिर्भरता
फाउंडेशन का उद्देश्य महिलाओं को सिर्फ स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना ही नहीं, बल्कि उन्हें रोजगार के अवसर प्रदान कर मुख्यधारा में लाना भी है।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
प्रज्ञा फाउंडेशन की यह पहल ग्रामीण महिलाओं के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी है। प्रज्ञा दीक्षित के इस प्रयास ने साबित कर दिया कि अगर संकल्प दृढ़ हो, तो बदलाव की राह आसान हो जाती है।
प्रज्ञा फाउंडेशन आज सिर्फ एक संस्था नहीं है, बल्कि यह हजारों महिलाओं के जीवन में सम्मान, स्वच्छता और स्वास्थ्य का प्रतीक बन चुका है। इस पहल ने यह संदेश दिया है कि समाज में बदलाव की शुरुआत एक छोटे से कदम से भी की जा सकती है।