टिहरी : सिकल सेल एनीमिया पर वार, टिहरी से राष्ट्रीय उन्मूलन अभियान की दमदार शुरुआत
टिहरी : सिकल सेल एनीमिया पर वार, टिहरी से राष्ट्रीय उन्मूलन अभियान की दमदार शुरुआत

टिहरी जनपद में राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन अभियान की शुरुआत जिला अस्पताल बौराड़ी में एक जागरूकता कार्यक्रम के साथ की गई। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने बताया कि सिकल सेल एनीमिया एक गंभीर वंशानुगत रक्त विकार है, जो खासकर जनजातीय समुदाय में पाया जाता है।
इस अभियान की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2023 को मध्य प्रदेश से की गई थी। इसका उद्देश्य वर्ष 2047 तक भारत को सिकल सेल एनीमिया से मुक्त करना है।
उत्तराखंड ने तय लक्ष्य को किया पार
अभियान के अंतर्गत उत्तराखंड को 0 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के 1,53,002 जनजातीय व्यक्तियों की स्क्रीनिंग का लक्ष्य दिया गया था। राज्य ने इस लक्ष्य को पार करते हुए 1,53,051 लोगों की जांच पूरी कर ली है।
अब तक 1,21,314 लाभार्थियों को काउंसलिंग कार्ड भी वितरित किए जा चुके हैं, जो कुल लक्ष्य का 79 प्रतिशत है।
क्या है सिकल सेल एनीमिया?
चिकित्साधिकारी डॉ. अमित रॉय ने जानकारी दी कि यह एक अनुवांशिक बीमारी है जिसमें रेड ब्लड सेल्स (RBC) का आकार बदल जाता है, जिससे शरीर में खून की कमी हो जाती है। यह स्थिति कई बार किडनी, तिल्ली और लिवर जैसे जरूरी अंगों को नुकसान पहुंचा सकती है।
बीमारी के लक्षण:
शरीर में एनीमिया व पीलापन
इम्यून सिस्टम कमजोर होना, बार-बार बीमार पड़ना
हड्डियों और जोड़ों में लगातार दर्द
स्प्लीन का आकार बढ़ना
हाथ-पैर में दर्द और सूजन
रक्त की भारी कमी के कारण बार-बार खून चढ़ाना
जरूरी सुझाव:
डॉ. रॉय ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति में सिकल सेल की पुष्टि हो, तो पूरा परिवार अपनी जांच अवश्य करवाए।
बच्चों में इस बीमारी की जानकारी स्कूल के शिक्षकों को देना आवश्यक है ताकि उन्हें अतिरिक्त देखभाल मिल सके।
फिलहाल इस बीमारी का स्थायी इलाज उपलब्ध नहीं है, लेकिन सही समय पर जांच और दवाओं से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।
देशभर में 7 करोड़ लोगों की होगी स्क्रीनिंग
भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2023 से 2026 तक तीन वर्षों में 40 साल तक के 7 करोड़ आदिवासी लोगों की स्क्रीनिंग की जाए। उत्तराखंड ने इस दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है।
कार्यक्रम में डॉ. अमित रॉय, दरमियान रावत समेत चिकित्सा विभाग का समस्त स्टाफ मौजूद रहा।