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शिक्षा के साथ प्रतियोगिता का संगम: राजेंद्र भंडारी की अनूठी पहल

शिक्षा के साथ प्रतियोगिता का संगम: राजेंद्र भंडारी की अनूठी पहल

नई टिहरी। नरेंद्रनगर के चार डिग्री कॉलेज और पांच इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राएं अपने विषय की पढ़ाई के साथ-साथ अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर पाएंगे। उन्हें इसके लिए बहुत ही उपयोगी पुस्तकें नरेंद्र नगर के ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र भंडारी ने उपलब्ध कराई हैं। 

जनप्रतिनिधि की सोच अच्छी हो तो वह कुछ नया व अच्छा करता ही है। नरेंद्र नगर के ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र भंडारी ने लीक से हटकर ऐसा ही कुछ कार्य किया है। उन्होंने विकास कार्यों से अलग हटकर छात्रों के हित में कुछ अच्छा व प्रेरणादाई कार्य किया। उन्होंने नरेंद्र नगर ब्लॉक के अंतर्गत राजकीय डिग्री कॉलेज पावकी देवी जाजल, पोखरी, नरेंद्र नगर और राजकीय इंटर कॉलेज दुआधार, 

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ओडाडा, जाजल तपोवन, रणाकोट में वहां के छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी पुस्तकें उपलब्ध कराई है। जिसका उद्देश्य विद्यालय के छात्र-छात्राओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करना है। उनके द्वारा स्कूल कॉलेजों को इस तरह की पुस्तकें उपलब्ध कराने से वहां पुस्तकालय की स्थापना भी हो गई है। 

बतातें चलें कि विकासखंड के पास कोई इस तरह का फंड नहीं था, जिससे विद्यालयों को पुस्तक उपलब्ध कराई जा सकें, लेकिन ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र भंडारी ने इस मामले में जोखिम लेते हुए विकास कार्यों का कुछ पैसा छात्रों के हित में खर्च करने का जो निर्णय लिया उससे विद्यालयों को पुस्तकें उपलब्ध हो पाई हैं। उक्त डिग्री कॉलेज और इंटर कॉलेज में 15 लाख से अधिक की पुस्तकें उपलब्ध कराई गई। खास बात यह है कि छात्रों को जो प्रतियोगी परीक्षा की पुस्तकें उपलब्ध कराई गई हैं। वह बहुत ही चर्चित दृष्टि फाउंडेशन की हैं, और उन पुस्तकों को पढ़कर छात्र लोक सेवा आयोग तक की होने वाली परीक्षाओं की तैयारी कर सकते हैं। प्रत्येक विद्यालय को हर विषय की प्रतियोगिकी पुस्तकों के पांच सेट उपलब्ध कराए गएं हैं। 

ब्लॉक प्रमुख राजेंद्र भंडारी का कहना है कि वर्तमान समय में विकास कार्यों पर भारी भरकम धनराशि खर्च की जा रही है। यदि स्कूल कॉलेज की बात करें तो वहां छात्र केवल अपनी विषय की ही पढ़ाई कर पाते हैं। चिंताजनक बातें है कि वह मोबाइल के नजदीक और किताबों से दूर होते जा रहे हैं। इसलिए उनको प्रतियोगी पुस्तकें उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया। उम्मीद करते हैं कि इससे छात्र-छात्राओं को लाभ मिलेगा। उन्होंने बिगत दिनों प्रत्येक विद्यालय में जाकर अपने हाथों से शिक्षकों और छात्रों को पुस्तकें उपलब्ध कराई। उन्होंने इसका नाम छात्र पुस्तकालय योजना भी दिया है।

 

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