
एम्स, ऋषिकेश के तत्वावधान में आयोजित विश्व एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (WAAW-2025) सप्ताह के अंतर्गत शुक्रवार को विभिन्न जनजागरूकता आधारित गतिविधियां हुई। जिनके माध्यम से विशेषज्ञ चिकित्सकों ने जनसंदेश में कहा एंटीबायोटिक दवाओं का सही व विवेकपूर्ण इस्तेमाल होना चाहिए अन्यथा जीवन रक्षक दवा जीवन के लिए घातक भी साबित हो सकती है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS), ऋषिकेश में संस्थान की निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह के मार्गदर्शन में विश्व एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध सप्ताह (World Antimicrobial Awareness Week – WAAW 2025) का आयोजन एंटीबायोटिक दवाओं के सही इस्तेमाल और गलत तरीके से उपयोग में लाने पर होने वाले दुष्प्रभावों के प्रति जनमानस में जागरूकता के उददेश्य से आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर आयोजन सचिव डॉ. प्रसन के. पांडा ने कहा कि ” पूरे सप्ताह की गतिविधियों में विभिन्न श्रेणियों के स्वास्थ्यकर्मी सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। यह देखकर प्रसन्नता होती है कि सभी स्टाफ एंटीबायोटिक्स के विवेकपूर्ण उपयोग judicious use को समझ रहे हैं और AMR के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे रहे हैं। लिहाजा एआईआईएमएस ऋषिकेश समाज और स्वास्थ्य-व्यवस्था दोनों स्तरों पर जागरूकता फैलाने के लिए प्रतिबद्ध है।”
इस वर्ष की वैश्विक थीम अभी कदम बढ़ाएं वर्तमान बचाएं व भविष्य सुरक्षित करें (“Act now, protect our present, secure our future” ) को ध्यान में रखते हुए संस्थान की ओर से विभिन्न क्षेत्रों में कई तरह की नवोन्मेषी और सहभागितापूर्ण गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं, जिससे एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (AMR) के बढ़ते खतरे के प्रति समाज, छात्रों और स्वास्थ्यकर्मियों को जागरूक किया जा सके।
इंसेट
ओपीडी में रोल प्ले के माध्यम से जागरूकता
WAAW-2025 के तहत शुक्रवार को मेडिसिन ओपीडी में बी.एससी. पैरामेडिकल छात्रों द्वारा जागरूकता के लिए एक प्रभावी रोल प्ले प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम का संचालन और पर्यवेक्षण DNS श्री अरुण द्वारा किया गया।
इस दौरान एम्स अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर सत्याश्री बलीजा ने कहा कि संस्थान द्वारा आयोजित WAAW-2025 की यह श्रृंखला एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के खिलाफ जन-स्वास्थ्य अभियान को सशक्त करती है। अस्पताल में आने वाले मरीजों, स्वास्थ्यकर्मियों, छात्रों और समुदाय के बीच एंटीबायोटिक्स के विवेकपूर्ण उपयोग के महत्व को बड़े पैमाने पर प्रसारित किया जा रहा है।
यह आयोजन न केवल संस्थान की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्वस्थ और सुरक्षित चिकित्सा वातावरण बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम भी है।
इस अवसर पर छात्रों ने मरीजों, तीमारदारों और उपस्थित अन्य नागरिकों को बताया कि एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध कैसे बनता है, एंटीबायोटिक्स का अनियंत्रित या गलत उपयोग कैसे संक्रमणों के इलाज को जटिल बनाता है तथा किन दैनिक आदतों से इस समस्या को रोका जा सकता है।
इस दौरान ओपीडी में आने वाले लोगों ने इसे अत्यंत उपयोगी और सरल भाषा में समझाया गया कार्यक्रम बताया।
स्कूलों में बच्चों को AMR के प्रति संवेदनशील बनाने का प्रयास
समाज के विभिन्न वर्गों तक संदेश पहुंचाने के उद्देश्य से एक अन्य जागरूकता कार्यक्रम सत्येश्वरी देवी मैमोरियल पब्लिक स्कूल, रायवाला में आयोजित किया गया। यहां नर्सिंग विद्यार्थियों ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध पर आधारित एक सशक्त और रोचक नाट्य प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का मार्गदर्शन डॉ. राखी मिश्रा (असिस्टेंट प्रोफेसर, नर्सिंग), डॉ. सौजन्या, असिस्टेंट प्रोफेसर मेडिसिन डॉ. अखिलेश, जेआर डॉ. गगन, श्री उमेश (DNS), श्री अमित सैनी
द्वारा किया गया।
इस दौरान रोल प्ले में विद्यार्थियों ने एंटीबायोटिक्स के दुरुपयोग, बिना चिकित्सकीय परामर्श या पर्चे के दवाइयां लेने के खतरे के अलावा संक्रमण रोकथाम उपायों जैसे हाथ स्वच्छता और टीकाकरण की भूमिका पर विशेष प्रकाश डाला।
स्कूल प्रशासन ने एम्स,ऋषिकेश की इस पहल की सराहना की और इसे बच्चों की वास्तविक स्वास्थ्य समझ बढ़ाने वाला कदम बताया।
क्विज़ एवं पोस्टर प्रतियोगिता में उत्साहपूर्ण भागीदारी
जागरूकता कार्यक्रमों की शृंखला में क्विज़ और पोस्टर प्रतियोगिता भी आकर्षण का केंद्र रही।
इन प्रतियोगिताओं का सफल आयोजन फार्माकोलॉजी विभाग के डॉ. गौरव चिकारा, नर्सिंग फेकल्टी डॉ. रूपिंदर देओल द्वारा किया गया।
विभिन्न स्थानों पर आयोजित इन तमाम जनजागरूकता कार्यक्रमों में स्वास्थ्यकर्मियों, नर्सिंग स्टाफ, मेडिकल व पैरामेडिकल छात्रों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। प्रतिभागियों द्वारा बनाए गए पोस्टर ने एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के वैज्ञानिक पहलुओं, इसके परिणामों और समाधान के बारे में बहुत सुंदर और प्रभावी संदेश दिया गया। बताया गया है कि प्रतियोगिता के विजेताओं को 24 नवंबर सोमवार को आयोजित होने वाले समापन समारोह में सम्मानित किया जाएगा।
15 क्षेत्रों में आइस-ब्रेकिंग एवं मूल्यांकन सत्र
सप्ताहव्यापी जनजागरूकता कार्यक्रम के तहत शुक्रवार को एम्स परिसर में AMR स्टेवार्डशिप के क्रियान्वयन को परखने और सुधारने के उद्देश्य से विशेषज्ञों द्वारा 15 विभिन्न क्षेत्रों में आइस-ब्रेकिंग सेशन आयोजित किए गए।
इन सत्रों में निम्न गतिविधियां की गईं, वर्तमान AMR स्टेवार्डशिप प्रथाओं का मूल्यांकन, सही डोज़, सही दवा, सही अवधि के सिद्धांत की समीक्षा, हैंड हाइजीन, संक्रमण नियंत्रण एवं नमूना संग्रह प्रथाओं पर प्रशिक्षित किया जाना, स्वास्थ्यकर्मियों को एंटीबायोटिक्स के विवेकपूर्ण और सुरक्षित उपयोग के लिए संवेदनशील बनाना आदि, बताया गया कि आयोजित किए गए सत्रों के माध्यम से विशेषज्ञों के विचारों ने विभागों में व्यावहारिक सुधार लाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
इस कार्यक्रम का मार्गदर्शन डॉ. वन्या सिंह व डीएनएस उमेश जी ने किया जबकि संचालन और पर्यवेक्षण नर्सिंग कॉलेज की फैकल्टी डॉ. राखी मिश्रा द्वारा किया गया। इस अवसर पर मेडिकल सुपरिटेंडेंट प्रो. सत्यश्री बलिजा, आयोजन सचिव डॉ. प्रसन के. पांडा, श्री गिरिराज सैनी (DNS) तथा सुश्री ऋचा (AMS नर्स) आदि उपस्थित रहे।



