पहाड़ी सुकून और पारंपरिक भोजन करना है तो चले आइए ‘होम स्टे विलेज’ तिवाड़ गांव गांव के 32 परिवारों ने अपने घरों को होम स्टे बनाकर शुरू की स्वरोजगार की मुहिम पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए 18 मई से पांच दिन का ओरिएंटेशन कार्यक्रम तिवाड़ गांव में
पहाड़ी सुकून और पारंपरिक भोजन करना है तो चले आइए ‘होम स्टे विलेज’ तिवाड़ गांव गांव के 32 परिवारों ने अपने घरों को होम स्टे बनाकर शुरू की स्वरोजगार की मुहिम पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए 18 मई से पांच दिन का ओरिएंटेशन कार्यक्रम तिवाड़ गांव में

नई टिहरी, (मुकेश रतूड़ी): टिहरी बांध प्रभावित तिवाड़गांव के लोगों ने अब टिहरी झील को ही रोजगार का प्रमुख जरिए बनाने की ठानी है। एक ओर जहां गांव के लोग बोटिंग और जलक्रीड़ा के व्यवसाय में लगे हैं, वहीं गांव के पारंपरिक भवनों का रेनोवेशन कर होम स्टे के रूप में तैयार किया जा रहा है। गांव के 32 परिवारों ने अपने घरों को होम स्टे के रूप में पंजीकरण कराया है। जिनमें से पर्यटन विभाग ने 15 घरों को होम स्टे का पंजीकरण दे दिया है। योजना है कि गांव के सभी 56 घरों का पंजीकरण कराकर तिवाड़ गांव को उत्तराखंड का पहला ‘होम स्टे विलेज’ बनाया जाए। होम स्टे में रहने के लिए पर्यटकों की भी जबर्दस्त डिमांड है।
टिहरी बांध की झील से लगे तिवाड़ गांव के लोगों ने भी पहले आसपास के ग्रामीणों की तरह टिहरी झील को अभिशाप ही माना था। लेकिन धीरे-धीरे गांव के लोगों की सोच बदली। उन्होंने समझा कि भविष्य में टिहरी बांध की झील की रोजगार का बड़ा जरिया बनेगी। इस काम में गांव के कुलदीप पंवार, नरेंद्र रावत, विजयपाल रावत, दिनेश पंवार जैसे युवाओं की भूमिका अग्रणी रही है। उन्होंने गांव के लोगों को एकत्रित कर कुछ को बोटिंग, होटल और रेस्टोरेंट के लिए प्रेरित किया। जबकि पूरे गांव वालों को अपने घरों को होम स्टे के रूप में स्थापित करने के लिए मोटिवेट किया। गांव में निवासरत 56 में से 32 परिवारों ने अपने पैतृक घरों को होम स्टे में तब्दील कर स्वरोजगार की राह अपनाई है। जबकि अन्य लोग भी पर्यटन विभाग की मदद से घरों को होम स्टे के रूप में परिवर्तित करने में लगे हैं। टिहरी बांध की झील में एडवेंचर का सफर करने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ ही है। कोटी कालोनी और आसपास क्षेत्र में होटल की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते पर्यटकों को टिहरी झील के आसपास रूकने में दिक्कत आती हैं। इन्हीं संभावनाओं को देखते हुए 2016 में सबसे कुलदीप पंवार ने तिवाड़ गांव से होम स्टे की अलख जलाई धीरे-धीरे कमल सिंह पंवार, शूरवीर सिंह, प्रधान संगीता देवी, विनोद रावत, देवेंद्र सिंह, आदि ने भी इस कड़ी को आगे बढाया। टीएचडीसी के बतौर डीजीएम रिटायर्ड एमएम कंसवाल ने भी गांव में होम स्टे शुरू किया है।
होम स्टे में मिलता है शुद्ध पारंपरिक भोजन-
होम स्टे संचालक कुलदीप पंवार का कहना है कि पर्यटकों को न्यूनतम दामों पर घर का खाना परोसा जाता है। गहत की दाल, मंडुए की रोटी, झंगोरे की खीर, गहत की भरी रोटी, अरसे, रोटाना, चैंसू, फाणा, मंडझोली जैसे पारंपरिक पकवानों की पर्यटक डिमांड करते हैं। यही नहीं अब तो एक-एक सप्ताह तक पर्यटक होम स्टे का लुत्फ उठा रहे हैं। कई पर्यटक गाय और भैंस को पिजाते (दूध दुहाना), मट्ठा करना, ट्रेकिंग, योग, मेडिटेशन, क्यारी में निराई-गुड़ाई भी करते हैं। होम स्टे के लिए बोटिंग प्वाइंट पर कांटैक्ट नंबर और ऑनलाइन बुकिंग के सुविधा भी है।
ग्रामीणों को 18 से मिलेगा प्रशिक्षण-
जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने का कहना है कि तिवाड़ गांव में अधिकांश घरों को होम स्टे बनाया है। गांव वालों को मेहमानों की खातिरदारी, साफ-सफाई, भोजन परोसने और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए 18 मई से पांच दिन का ओरिएंटेशन कार्यक्रम तिवाड़ गांव में चलाया जाएगा। ताकि यहां की ब्रांडिंग और बेहतर हो सके। विभाग ग्रामीणों के ही स्तर पर मदद करने को तैयार है।