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तुलसी पूजन दिवस :परिवार पर आने वाले संकट के बारे में पहले ही बता देता है तुलसी का पौधा

फरीदाबाद से हृदयेश कुमार की रिपोर्ट

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ एमपी सिंह ने कृष्णा क्रिकेट ग्राउंड & अकैडमी सैक्टर 74 मिर्जापुर में तुलसी पूजन के लिए विशेष प्रकाश डालते हुएबताया कि शास्त्रों में यह बात भली प्रकार से उल्लेख है कि अगर घर पर कोई संकट आने वाला है तो सबसे पहले उस घर से लक्ष्मी यानि तुलसी चली जाती है और वहां दरिद्रता का वास होने लगता है ।

तुलसी पूजन दिवस स्पेशल: परिवार पर आने वाले संकट के बारे में पहले ही बता देता है तुलसी का पौधाआने वाली विपत्तियों के बारे में पहले ही बता देता है तुलसी का पौधातुलसी के बारे में हम सभी थोड़ा-बहुत तो जानते ही हैं. हिंदू धर्म में तुलसी को विशेष महत्व दिया गया है । यही वजह है कि हिंदू धर्म के लोग तुलसी को माता का रूप मानकर उसकी पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। तुलसी पूजन के लिए कुछ खास दिन चिह्नित किए गए हैं. इस साल शनिवार, 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाया 

तुलसी के बारे में कहा जाता हैं कि यह जहां फलती हैं, उस घर में रहने वालों को कोई संकट नहीं आते. स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद में तुलसी के अनेक गुण के बारे में बताया गया हैं. यह बात कम लोग जानते हैं कि तुलसी परिवार में आने वाले संकट के बारे में सुखकर पहले संकेत दे देती हैं l

पौधों में भी होती जानवरों जैसी ये विशेषता

प्रकृति की अपनी एक अलग खासियत है. इसने अपनी हर एक रचना को बड़ी ही खूबी और विशिष्ट नेमत बख्शी है. इंसान तो वैसे भी प्रकृति की उम्दा रचनाओं में से एक है जो समझदारी और सूझबूझ से काम लेता है. इसके अलावा जानवरों की खूबी ये है कि वे आने वाले खतरे, मसलन भूकंप, सुनामी, पारलौकिक ताकतों आदि को पहले ही भांप सकने में सक्षम होते हैं, लेकिन बहुत ही कम लोग यह बात जानते हैं कि पौधों के भीतर भी ऐसी ही अलग विशेषता है, जिसे अगर समझ लिया जाए तो घर के सदस्यों पर आने वाले कष्टों को पहले ही टाला जा सकता है.

क्यों मुरझाता है तुलसी का पौधा शायद कभी किसी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया होगा कि तुलसी के पौधे को चाहे कितना भी पानी दे दें, उसकी कितनी ही देखभाल कर लें, वह अचानक मुरझाने या सूखने लगती है. लेकिन ऐसा होता क्यों है और ये किस ओर इशारा करती है l

शायद आप इस बात पर भरोसा न करें, लेकिन तुलसी का मुरझाया हुआ पौधा आपको यह बताने की कोशिश कर रहा होता है कि जल्द ही परिवार पर किसी विपत्ति का साया मंडरा सकता है. कहने का अर्थ यह है कि अगर परिवार के किसी भी सदस्य पर कोई मुश्किल आने वाली है तो उसकी सबसे पहली नजर घर में मौजूद तुलसी के पौधे पर पड़ती है !

हिन्दू शास्त्र

शास्त्रों में यह बात भली प्रकार से उल्लेख है कि अगर घर पर कोई संकट आने वाला है तो सबसे पहले उस घर से लक्ष्मी यानि तुलसी चली जाती है और वहां दरिद्रता का वास होने लगता है.

बुध ग्रह

जहां दरिद्रता, अशांति व कलह का वातावरण होता है वहां कभी भी लक्ष्मी का वास नहीं होता. ज्योतिष के अनुसार ऐसा बुध ग्रह की वजह से होता है क्योंकि बुध का रंग हरा होता है और वह पेड़-पौधों का भी कारक माना जाता है. अच्छे प्रभाव में पेड़-पौधे बढ़ने लगते हैं और बुरे प्रभाव में मुरझाकर अपनी दुर्दशा बयां करते हैं ।

अवसर पर संस्था के संस्थापक हृदयेश कुमार तथा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आचार्य राकेश कुमार नारायण ने तुलसी पूजन दिवस पर पूजा विधि और

 आज है तुलसी पूजन विशेष प्रकास डाला । हर साल 25 दिसंबर को यह दिवस मनाया जाता है, तुलसी केवल एक पौधा नहीं बल्कि धरा के लिए वरदान है और इसी वजह से हिंदू धर्म में इसे पूज्यनीय माना गया है। आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा गया है क्योंकि ये औषधि भी है और इसका नियमित उपयोग आपको उत्साहित, खुश और शांत रखता है। भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुलसी के पूर्ण नहीं मानी जाती। सुबह अपने नैतिक कार्यों से निवृत होकर मां तुलसी की पूजा करनी चाहिए। पहले कुमकुम से उनका टीका करना चाहिए और उसके बाद उनकी आरती करके जल चढ़ाना चाहिए। जल चढ़ाते वक्त आपको निम्नलिखित मंत्र पढ़ने चाहिए।

महाप्रसादजननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी।

आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

इसके बाद आप तुलसी की परिक्रमा कीजिए, आप अपनी सुविधानुसार 7, 11, 21 या 111 परिक्रमा कर सकते हैं और उसके बाद मां तुलसी का ध्यान कीजिए। इसके बाद तुलसी के पत्ते डालकर प्रसाद वितरित करें। तुलसी पूजा सुबह ही नहीं आप आज कभी भी कर सकते हैं।

तुलसी के आठ नाम

वृंदा, वृंदावनी, विश्वपावनी, विश्वपूजिता, पुष्पसारा, नंदिनी, तुलसी और कृष्णजीवनी – ये तुलसी देवी के आठ नाम हैं। कहते हैं कि जो पुरुष तुलसी की पूजा करके इस नामाष्टक का पाठ करता है, उसे अश्वमेध यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

बताते हैं कि भगवान श्री राम ने गोमती तट पर और वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण ने तुलसी लगायी थी। अशोक वाटिका में सीता जी ने रामजी की प्राप्ति के लिए तुलसी जी का मानस पूजन ध्यान किया था। हिमालय पर्वत पर पार्वती जी ने शंकर जी की प्राप्ति के लिए तुलसी का वृक्ष लगाया था।

घर-घर तुलसी लगाओ’ अभियान

आज के दिन केवल तुलसी की पूजा ही नहीं होती है बल्कि आज के दिन एक अभियान के तहत घर-घर तुलसी लगाया जाता है। ‘घर-घर तुलसी लगाओ अभियान’ अभियान वेदांत सेवा समिति एवं महिला उत्थान मंडल द्वारा शुरू किया गया था।

डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक ‘तुलसी’ में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोशों को स्वस्थ बना देती है ।

तुलसी संक्रामक रोगों, जैसे -टी.बी., मलेरिया इत्यादि की चिकित्सा में बहुत उपयोगी है।

तुलसी का पौधा उच्छ्वास में ओजोन वायु छोडता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है।

व्यक्ति की आयु बढ़ती है

यूनिवर्सल स्केनर के मुताबिक यदि कोई व्यक्ति तुलसी के पौधे की 9 बार परिक्रमा करे तो उसके आभामंडल के प्रभाव-क्षेत्र में वृद्दि होती है।

तुलसी के नियमित सेवन से शरीर में विद्युतीय शक्ति का प्रवाह नियंत्रित होता है और व्यक्ति की आयु बढ़ती है।

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