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बंदरों के आतंक पर प्रशासन को सख्त निर्देश, अब रानीखेत रेंज के अधिकारियों को भी जारी हुए आदेश

बंदरों के आतंक पर प्रशासन को सख्त निर्देश, अब रानीखेत रेंज के अधिकारियों को भी जारी हुए आदेश

अल्मोड़ा।

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अल्मोड़ा नगर क्षेत्र में कृत्रिम रूप से छोड़े जा रहे बंदरों के आतंक से त्रस्त नागरिकों को अब राहत की उम्मीद बंधी है। वर्षों से इस जनसुरक्षा के गंभीर मुद्दे पर संघर्ष कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता संजय पाण्डे के अथक प्रयास आखिरकार रंग लाने लगे हैं। वन विभाग ने इस पर पहली बार सख्त कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं।

हाल ही में रानीखेत वन क्षेत्राधिकारी ने पत्र (पत्रांक 2007/10-1, दिनांक 5 जून 2025) जारी कर घिघांरीखाल बैरियर पर संदिग्ध वाहनों की सख्ती से जांच के निर्देश दिए हैं। आदेश में विशेष रूप से यह कहा गया है कि बंदरों को बाहरी क्षेत्रों से लाकर अल्मोड़ा में छोड़ने वाले वाहनों पर कड़ी निगरानी रखी जाए और दोषियों के विरुद्ध तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल

संजय पाण्डे ने यह मुद्दा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन, वन्य जीव संघर्ष हेल्पलाइन, और जिलाधिकारी कार्यालय तक कई बार पहुंचाया। बावजूद इसके नगर निगम और जिला प्रशासन अब तक कोई ठोस कार्य योजना बनाने में विफल रहे हैं।

उन्होंने कुमाऊं कमिश्नर को भेजी गई शिकायत (क्रमांक CHML0620258767870) में स्पष्ट रूप से प्रशासन की निष्क्रियता और उदासीनता को उजागर किया है।

संजय पाण्डे का कहना है कि जिलाधिकारी स्वयं स्वीकार चुके हैं कि बंदरों को छोड़ा जा रहा है, फिर भी उनके पास इस पर रोक लगाने की कोई प्रभावी योजना नहीं है।

चुनावी वादे हुए हवा-हवाई

नगर निगम, जिसने अपने चुनावी घोषणापत्र में बंदरों से निजात दिलाने का वादा किया था, अब मूकदर्शक बना हुआ है। स्थानीय नागरिकों में इस बात को लेकर भारी आक्रोश है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।

“यह लड़ाई अभी जारी है” — संजय पाण्डे

संजय पाण्डे का कहना है:

“मैं राजनैतिक नहीं, सामाजिक कार्यकर्ता हूं – मेरा मकसद जनसमस्याओं का स्थायी समाधान है, न कि शोहरत या स्वार्थ। हमारी यह लड़ाई अब सिर्फ स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं रहेगी — यह एक व्यापक जनआंदोलन का रूप ले सकती है।”

स्वास्थ्य, संचार और सफाई में भी निभाई प्रमुख भूमिका

गौरतलब है कि संजय पाण्डे इससे पूर्व भी स्वास्थ्य, संचार और सफाई के कई अहम मुद्दों पर उल्लेखनीय योगदान दे चुके हैं।

उनके प्रयासों से MRI, CT Scan, ENT, ऑडियोमेट्री, ब्लड बैंक, नशा मुक्ति केंद्र, और लेप्रोस्कोपिक मशीन जैसी स्वास्थ्य सेवाओं को सक्रिय कराया गया।

वहीं, एयरटेल, जियो, वोडाफोन और बीएसएनएल नेटवर्क सुधार के लिए भी उन्होंने कंपनियों से सतत संवाद कर आमजन को राहत दिलाई।

पाण्डेखोला व आसपास के क्षेत्रों में नालियों व कलमठों की सफाई के लिए भी वे लगातार लोक निर्माण विभाग के संपर्क में रहे हैं।

सामाजिक जागरूकता का प्रतीक

अल्मोड़ा जैसे शहर में, जहां प्रशासनिक ढांचा अक्सर सुस्त हो जाता है, वहां एक सजग नागरिक की आवाज ही परिवर्तन की नींव रखती है।

आज संजय पाण्डे उस आवाज़ का नाम बन चुके हैं। उनका कहना है कि जब तक बंदरों के इस आतंक पर पूरी तरह रोक नहीं लग जाती, उनकी लड़ाई जारी रहेगी।

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