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कथा : श्रीकृष्ण जन्म कथा सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु, खेत गाँव में उमड़ा भक्तों का सैलाब

कथा : श्रीकृष्ण जन्म कथा सुन भावविभोर हुए श्रद्धालु, खेत गाँव में उमड़ा भक्तों का सैलाब

टिहरी जिले के प्रतापनगर तहसील के ग्राम पंचायत खेत गाँव में चल रहे सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने भक्ति और भावनाओं के साथ भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की दिव्य लीला का रसपान किया। राष्ट्रीय संत परम पूज्य डॉ. दुर्गेश आचार्य जी महाराज ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का भावपूर्ण और अलौकिक वर्णन करते हुए श्रोताओं को अध्यात्म की गहराइयों तक पहुँचा दिया।

डॉ. आचार्य जी ने कहा कि जब-जब धरती पर पाप बढ़ता है और अधर्म का बोलबाला होता है, तब भगवान स्वयं अवतार लेते हैं। मथुरा के अत्याचारी राजा कंस के आतंक से पीड़ित धरती ने जब आर्तनाद किया, तब भगवान विष्णु ने द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लेकर धर्म की स्थापना की।

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कथा के दौरान जैसे ही श्रीकृष्ण जन्म का प्रसंग आया, पूरे पंडाल में “नंद के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की” जैसे जयकारों की गूंज सुनाई दी। श्रोतागण भावविभोर हो उठे। कथा में बताया गया कि रात के ठीक 12 बजे, जब चारों ओर अंधकार छाया हुआ था, तभी देवकी-वासुदेव के कारागार में श्रीहरि ने चार भुजाओं वाले रूप में प्रकट होकर वचन दिया कि वे अब गोकुल में नंद-यशोदा की गोद में पलेंगे।

इसके बाद वासुदेव जी ने योगमाया की कृपा से बालक कृष्ण को टोकरी में रखा और यमुना को पार कर उन्हें गोकुल पहुँचा दिया। कथा के इस प्रसंग में श्रोताओं की आंखें नम हो गईं और वातावरण श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के उल्लास से भर गया।

कथा आयोजकों श्रीमती भागीरथी देवी एवं श्री सुमेर प्रसाद भट्ट ने बताया कि कथा प्रतिदिन दोपहर 1:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक आयोजित की जा रही है। उन्होंने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया कि अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर धर्म लाभ लें और भागवत प्रसाद ग्रहण कर आयोजन को सफल बनाएं।

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