उत्तराखंडखेलपर्यटन

बोटिंग के साथ-साथ टिहरी झील में जल्द शुरू होगा रोमांचकारी सफर, टिहरी बांध की झील में उत्तराखंड के निवेशक की पैरासेलिंग टेस्टिंग रही सफल

मुकेश रतूड़ी,नई टिहरी,  साहसिक खेलों के शौकीनों के लिए सुखद खबर है। टिहरी बांध की झील में पैरासेलिंग की टेस्टिंग सफल रही है। अब आने वाले दिनों में पर्यटक और स्थानीय लोग टिहरी झील में पैरासेलिंग का लुत्फ लेकर रोमांच का सफर तय कर सकेंगे। इसके अलावा झील में इन दिनों शिकारा और क्रूज, हाउसबोट की असेंबलिंग का कार्य भी जोरों पर है। उत्तराखंड के निवेशक झील में इन कार्यों पर इनवेस्ट कर रहे हैं।

टिहरी बांध को विश्वस्तरीय पर्यटक गंतव्य बनाने के लिए सरकार ने इसे 13 डिस्ट्रिक्ट-13 डेस्टिनेशन में शामिल किया है। टिहरी झील में वर्तमान में 100 से अधिक सामान्य, बनाना, स्पीड बोट संचालित हो रही हैं। जिससे 500 से अधिक युवाओं को रोजगार मिल रहा है। अब सरकार ने झील में स्कूबा डाइविंग, जॉर्बिंग, पैरासेलिंग, शिकारा, क्रूज और हाउसबोट चलाने के लिए योजना बनाई है। इस कार्य के लिए उत्तराखंड सहित आसपास निवेशक काफी रूचि ले रहे हैं। इसी कड़ी में सोमवार को पर्यटन विभाग और टाडा (टिहरी विशेष क्षेत्र पर्यटन विकास प्राधिकरण) के देखरेख में ऋषिकेश गुमानीवाला के निवेशक खुशाल सिंह राणा की पैरासेलिंग की टेस्टिंग हुई। जिला पर्यटन अधिकारी अतुल भंडारी ने बताया कि टेस्टिंग सफल रही है। पैरासेलिंग में प्रमुख रूप से हवा का दबाव और बोट की क्षमता को आंका जाता है। इस दृष्टि से दोनों प्रयोग सफल रहे हैं। बताया कि फिलहाल एक माह तक ट्रायल के तौर पर निवेशक झील में पैरासेलिंग गतिविधि संचालित करेगा। फाइनल रिपोर्ट के बाद झील में पैरासेलिंग की व्यवसायिक अनुमति दी जाएगी। टाडा के विपणन अधिकारी नवीन नेगी के अनुसार झील में पैरासेलिंग के लिए एक, शिकारा के लिए 3 और कू्रज के लिए एक आवेदन मिला है। इन सब पर कार्य चल रहा है। सीईओ/जिलाधिकारी के अनुमोदन और रिपोर्ट के बाद ही झील में इनका संचालन किया जाएगा। पैरासेलिंग के निवेशक खुशाल सिंह राणा के अनुसार एक पैरासेलिंग पर करीब 90 लाख रुपये का इन्वेस्ट किया है। उम्मीद है कि ट्रायल के बाद लोग इसके रोमांच का लुत्फ उठा सकेंगे।

 

क्या है पैरासेलिंग-

पैरासेलिंग, जिसे पैरासेंडिंग के नाम से भी जाना जाता है, एक मनोरंजक गतिविधि है। जिसमें एक व्यक्ति को एक बोट के पीछे खींचा जाता है। बोट विशेष रूप से डिजाइन किए गए पैराशूट के साथ जुड़ी रहती है। जिसे पैरासेल कहते हैं। यह नाव पैरासेंलिंग करने वाले को हवा में उड़ाते हुए आगे बढ़ जाती है। अगर नाव पर्याप्त रूप से मजबूत है, तो 2-3 लोग इसके पीछे एक ही समय में पैरासेल कर सकते हैं। पैरासेंडिंग करने वाले का पैराशूट पर न्यूनतम अथवा कोई नियंत्रण नहीं होता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button