श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय और श्रीदेव सुमन ग्राम एवं क्षेत्र विकास समिति द्वारा संयुक्त रूप से ’जौल गांव’ में श्रीदेव सुमन जी की ’106वीं जयन्ती’ और ’द्वितीय श्रीदेव सुमन स्मृति व्याख्यान’ का आयोजन किया गया। कुलपति डा0 पीताम्बर प्रसाद ध्यानी द्वारा जौल गांव में जाने से पूर्व, विश्वविद्यालय मुख्यालय में स्थापित श्रीदेव सुमन जी की मूर्ति पर पुष्प अर्पित किये गये और दीपक प्रज्वालित कर उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
जौल गांव में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति डा0 ध्यानी ने कहा कि जब वह श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति बनें थे तो वह रानीपोखरी नरेन्द्रनगर बाईपास से विश्वविद्यालय मुख्यालय बादशाहीथौल में आ रहे थे, तो रास्ते में ’मन इच्छा देवी’ मन्दिर के समीप से गुजरते वक्त उनके मन में एक प्रबल इच्छा हुयी कि जिस महान विभूति के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम है, विश्वविद्यालय द्वारा उनके नाम पर कुछ न कुछ नया किया जाना चाहिए। जब वह 25 जुलाई 2020 को श्रीदेव सुमन जी के बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में पहली बार जौल गांव गयेे थे तो उन्होने अपनी मन में हुई इच्छाओं से सभी ग्रामवासियों को अवगत कराया था। उन्होने कहा था कि वे श्रीदेव सुमन स्मृति व्याख्यान का आयोजन हर वर्ष करवायेंगे, उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल करवायेंगे तथा विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले छात्र/छात्रा को ’श्रीदेव सुमन गोल्ड मेडिल’ से सम्मानित करवायेंगे। कुलपति डा0 ध्यानी ने अवगत कराया कि उन्होने जो कहा था उन सबको कर दिया है। उन्होने कहा कि विश्वविद्यालय अब जौल गांव को स्मार्ट गांव बनाने हेतु कुछ करना चाहता है। लेकिन बिना जन प्रतिनिधियों, जिला प्रशासन और जौल गांव के ग्रामीणजनों के सहयोग से यह सम्भव नही है। इस कड़ी में उन्होने कहा कि बहुत जल्दी विश्वविद्यालय द्वारा जौल गांव में मुख्य द्वार का निर्माण करवाया जायेगा। डा0 ध्यानी ने यह भी सुझाव दिया कि जौल गांव और मंज्यूड गांव को राज्य सरकार/केन्द्र सरकार/दानवीर संस्थाओं द्वारा आदर्श गांव बनाना चाहिए।
द्वितीय श्रीदेव सुमन स्मृति व्याख्यान के मुख्य वक्ता डा0 गिरधर पंडित, जो टिहरी प्रजामण्डल के प्रधानमंत्री (जनरल सैकेट्ररी) स्व0 श्री प्रेम लाल वैद्य के भतीजे हैं और जिन्होने आज से 42 साल पहले टिहरी जनक्रान्ति पर पी0एच0डी0 की उपाधि प्राप्त की, ने इस अवसर पर टिहरी जनक्रान्ति के बारे में विस्तृत रूप से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होने श्रीदेव सुमन जी के योगदान, व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डालते हुये उनकी सामाजिक, राजनैतिक व क्रान्तिकारी जीवन के इतिहास से भी प्रतिभागियों को विस्तृत रूप से अवगत कराया। उन्होने बताया कि साधारण परिवार में जन्म लेते हुये श्रीदेव सुमन द्वारा अनेको अभावों के बावजूद शिखर की प्राप्ति की गयी तथा जनता को उनके अधिकार दिलाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डा0 पंडित ने बताया कि श्रीदेव सुमन जी के स्वाभिमान व परोपकार से ही टिहरी क्षेत्र को आजादी मिली। उन्होने कहा कि श्रीदेव सुमन एक क्रान्तिकारी ही नही अपितु एक परोपकारी इंसान भी थे। सभी वर्णो के व्यक्तियों को साथ लेकर चलने की उनमें महान कला और अद्भूत क्षमता थी। डा0 गिरधर पंडित ने अपने व्याख्यान में श्रीदेव सुमन के व्यक्तित्व व कृतित्व से जुडे़ सभी आयामों से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होने श्रीदेव सुमन जी के जीवन से प्रेरित व गौरवान्वित होने और निरन्तर प्रेरणा लेने की बात भी कही।
आयोजन के इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव खेमराज भट्ट, प्रो0 एम0एस0रावत, परीक्षा नियंत्रक, सहायक परीक्षा नियंत्रक डा0 बी0एल0आर्य, हेमन्त बिष्ट सहायक कुलसचिव हेमराज चौहान, सुनील नौटियाल, कुलदीप सिंह नेगी, अर्जुनय जिला प्रशासन से उप जिलाधिकारी अपूर्वा, जिला पंचायत सदस्य एलमा सजवाण, चम्बा व्यापार मण्डल अध्यक्ष बिशन सिंह भण्डारी, ग्राम सभा प्रधान सरिता रावत तथा जौल गांव के श्री मस्तराम बडोनी, श्री विनोद प्रसाद बडोनी, सुधा बडोनी, अनुपम बडोनी आदिय तथा, चम्बा, टिहरी और बादशाहीथौल के गणमान्य व्यक्ति – मा0 विधायक श्री किशोर उपाध्याय, नगर पालिकाध्यक्ष श्रीमती सुमन रमोला, सुशील बहुगुणा, खेम सिंह चौहान, जीतराम भट्ट, शक्ति जोशी, कवि श्री सोमवारी लाल सकलानी आदि – उपस्थित रहे। कार्यक्रम का सफल संचालन विश्वविद्यालय के सहायक परीक्षा नियंत्रक डा0 हेमन्त बिष्ट द्वारा किया गया।