खुशखबरी : उत्तराखंड में इन कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया तेज, धामी सरकार ने दी बड़ी राहत
खुशखबरी : उत्तराखंड में इन कर्मचारियों के नियमितीकरण की प्रक्रिया तेज, धामी सरकार ने दी बड़ी राहत
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में 17 अगस्त 2024 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश के तदर्थ और संविदा कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की खबर आई। इस बैठक में उन कर्मचारियों के नियमितीकरण पर व्यापक चर्चा की गई, जिन्होंने 10 वर्षों का सेवा कार्यकाल पूरा कर लिया है। सरकार ने इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सैद्धांतिक सहमति दे दी है, जिससे लगभग 15,000 कर्मचारियों को लाभ मिलने की संभावना है।
कट ऑफ डेट पर अंतिम निर्णय आगामी बैठक में
हालांकि, नियमितीकरण की प्रक्रिया में कट ऑफ डेट को लेकर अंतिम निर्णय अभी नहीं हो पाया है। बैठक में साल 2018 और 2024 को संभावित कट ऑफ डेट के रूप में चर्चा में लाया गया, लेकिन कोई भी सहमति न बन पाने के कारण इस प्रस्ताव को आगामी कैबिनेट बैठक में फिर से प्रस्तुत करने का निर्णय लिया गया है। कार्मिक विभाग को इस पर अगले बैठक में प्रस्ताव लाने के निर्देश दिए गए हैं।
लंबे समय से उठ रही थी मांग
प्रदेश के विभिन्न सरकारी विभागों, निगमों, और परिषदों में कार्यरत तदर्थ और संविदा कर्मचारी लंबे समय से अपने नियमितीकरण की मांग कर रहे थे। 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इन कर्मचारियों के विनियमितीकरण के लिए नियमावली तैयार की थी, लेकिन इसे पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका। 2016 में भी इस नियमावली में संशोधन का प्रयास किया गया, लेकिन तकनीकी और कानूनी अड़चनों के कारण यह प्रयास भी अधूरा रह गया था।
हाईकोर्ट के निर्देश पर बढ़ी उम्मीदें
हाईकोर्ट ने साल 2013 की विनियमितीकरण नियमावली को सही ठहराते हुए आदेश दिया था कि 10 वर्षों से सेवाएं दे रहे तदर्थ और संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए। इस आदेश के बाद से कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई थीं और अब धामी सरकार ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
नियमितीकरण की दिशा में बड़ा कदम
धामी सरकार की इस पहल को कर्मचारियों के बीच सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है। अगर आगामी कैबिनेट बैठक में कट ऑफ डेट पर सहमति बन जाती है, तो राज्य के हजारों तदर्थ और संविदा कर्मचारियों का नियमितीकरण हो सकता है। यह कदम न केवल कर्मचारियों के लिए राहतभरा होगा, बल्कि राज्य में सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता और स्थिरता को भी मजबूती देगा।
अब सभी की निगाहें आगामी कैबिनेट बैठक पर टिकी हैं, जिसमें इस महत्वपूर्ण फैसले पर अंतिम मुहर लगने की उम्मीद है।