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शौर्य, समर्पण और प्रगति की गूंज: श्री देव सुमन विश्वविद्यालय में 76वां गणतंत्र दिवस

शौर्य, समर्पण और प्रगति की गूंज: श्री देव सुमन विश्वविद्यालय में 76वां गणतंत्र दिवस

टिहरी, 26 जनवरी: श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में 76वां गणतंत्र दिवस पूरे उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कुलपति प्रो. एन.के. जोशी ने विश्वविद्यालय मुख्यालय स्थित शौर्य दीवार पर शहीदों को नमन करते हुए राष्ट्रीय ध्वज फहराया।

अपने प्रेरणादायक संबोधन में प्रो. जोशी ने कहा, भारत की सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीनतम सभ्यता है, जिसे संरक्षित रखना प्रत्येक नागरिक का दायित्व है। हमारे वेद और शास्त्र न केवल ज्ञान के भंडार हैं, बल्कि विज्ञान और तकनीकी प्रगति का आधार भी हैं। उन्होंने शहीदों और संविधान निर्माताओं के बलिदान को याद करते हुए कहा, संविधान ने हमें अधिकार दिए हैं, लेकिन इसके साथ अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।

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प्रो. जोशी ने भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करते हुए भारत सरकार की विकसित भारत@2047 पहल का उल्लेख किया और कहा, “यह पहल भारत को स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखती है। इसके लिए विश्वविद्यालय के प्रत्येक कर्मचारी और अधिकारी को समर्पण भाव से कार्य करना होगा।

विश्वविद्यालय की प्रगति पर जोर

कुलसचिव दिनेश चंद्रा ने अपने संबोधन में कहा कि विश्वविद्यालय वर्तमान में शिक्षा, अनुसंधान और आधारभूत संरचना के क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रहा है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में नए पाठ्यक्रमों को लागू किया जा रहा है, जिससे छात्रों को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकें। फैकल्टी और स्टाफ के विकास के लिए केंद्र बनाए जा रहे हैं और प्रशासनिक भवनों का निर्माण हो रहा है,

विशेषज्ञों और कर्मचारियों की भागीदारी

इस भव्य आयोजन में विश्वविद्यालय के कई वरिष्ठ अधिकारियों और कर्मचारियों ने भाग लिया। बीसीए फैकल्टी के सदस्य और विश्वविद्यालय के सहायक परीक्षा नियंत्रक डॉ. हेमंत बिष्ट, डॉ. बी.एल. आर्य, प्र. निजी सचिव वरुण डोभाल समेत कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

राष्ट्र निर्माण का संदेश

कार्यक्रम का समापन राष्ट्रभक्ति के जोश और भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूती देने की प्रतिबद्धता के साथ हुआ। कुलपति ने कहा, कर्तव्यनिष्ठा और ईमानदारी से राष्ट्र की सेवा करना ही शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

 

 

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