विधानसभा अध्यक्षों के द्वारा अपने अपने समय में की गई अपने करीबियों की नियुक्तियों के मामले में सवाल उठ रहें हैं। पिछली विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष रहे प्रेमचंद अग्रवाल ने भी आचार संहिता के पहले खूब नियुक्तियां की। हालात ये हुए कि वित्त विभाग से अनुमति न मिलने के बाद भी प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए विधानसभा में बंपर नियुक्तियां कर दीं। इस बात को वो स्वीकार भी कर रहें हैं। मीडिया के कैमरों के सामने उन्होंने माना कि विधानसभा में नेताओं, मंत्रियों, बीजेपी नेताओं, अधिकारियों के रिश्तेदारों को नियुक्ति दी गई है।
ये मामला मीडिया में जोर शोर से उठने के बाद अब बीजेपी बैकफुट पर है। इस बात की खबर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व को भी लगी है। बीजेपी आलाकमान ने इस मसले का संज्ञान लिया है और पूरी रिपोर्ट तैयार करा रही है। माना जा रहा है कि बीजेपी जल्द ही इस मामले में कार्रवाई भी कर सकती है। कैबिनेट मंत्री और पूर्व विधानसभा स्पीकर प्रेमचंद अग्रवाल से जवाब तलब किया जा सकता है। चूंकि बीजेपी के लिए ये मसला बेहद अहम साबित हो सकता है लिहाजा बीजेपी प्रेमचंद अग्रवाल की कुर्बानी भी ले सकती है। सूत्रों की माने तो बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महामंत्री बीएल संतोष बीच इस मसले पर बाचतीच हो चुकी है। पार्टी की छवि को हो रहे नुकसान को लेकर भी चर्चा हुई है।