त्रिवेणी कौथिग में ‘जीतू बगड़वाल की अमर प्रेम गाथा’ का भावनात्मक मंचन, दर्शक हुए भाव-विभोर
गढ़भूमि सांस्कृतिक एवं नाट्य मंच की प्रस्तुति ने जीता दर्शकों का दिल, हर दृश्य पर गूँजी तालियाँ

नई टिहरी : त्रिवेणी कौथिग में ‘जीतू बगड़वाल की अमर प्रेम गाथा’ का ऐसा मनमोहक और भावनात्मक मंचन देखने को मिला, जिसने पूरे दर्शक–दीर्घा को भाव-विभोर कर दिया। गढ़भूमि सांस्कृतिक एवं नाट्य कला मंच द्वारा प्रस्तुत यह दो घंटे की नाटिका अपनी सशक्त पटकथा, दमदार संवादों और मन को छूने वाले गीत–संगीत के कारण दर्शकों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गई।
निदेशक राजेंद्र चौहान द्वारा प्री-शूट दृश्यों को पर्दे पर चलाने का अभिनव प्रयोग पूरे कार्यक्रम की विशेष आकर्षण रहा। अछरियों (परियों) का खैट से उतरने का दृश्य, जीतू–स्याळी की भावनात्मक मुलाकात, रोपाई से पहले परिवार की मार्मिक झलकियाँ और अंत में जीतू बगड़वाल का हर जाना—हर दृश्य पर दर्शकों की तालियाँ थमती नहीं थीं।
कलाकारों का दमदार अभिनय बना प्रस्तुति की जान
मुख्य पात्र जीतू बगड़वाल के रूप में सुमित राणा ने अपने सहज अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया।
उनकी माँ की भूमिका में सीमा रावत, पत्नी के रूप में दीक्षा, और स्याळी भरणा के रूप में आरती पंवार का अभिनय बेहद प्रभावशाली रहा।
नृतकी सुहानी, तथा सोबनु अंशुल रावत ने भी अपने किरदारों से दर्शकों को बांधे रखा।
चरण सिंह नेगी और साहिल कंडारी ने मल्टीपल रोल निभाकर मंच पर बहुआयामी रंग भरे।
हुड़क्या की भूमिका में मनोज शाह तथा राजा की भूमिका में मोंटी पांडेय ने अपनी दमदार प्रस्तुति से अमिट छाप छोड़ी।
परियों की भूमिका निभाने वाली पूनम, पलक, करिश्मा, अंजलि भारती, किरण, शुभी, साक्षी, निधि, आरुषि और दिव्या ने मंच को जीवंत कर दिया।
साज-सज्जा और तकनीक में भी दिखी टीम की मेहनत
सह-निर्देशन और साज-सज्जा में संजय चौधरी, हरीश बडोनी, सुनील क्षेत्री, सती उनियाल, दिव्यांशी, साक्षी सेमवाल, भगवानी चौहान और संगीता नेगी का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जिसने पूरे मंचन को भव्य और जीवंत रूप दिया।
निदेशक राजेंद्र चौहान ने बताया कि यह नाटिका मूल रूप से उनके नाना स्वर्गीय सत्ये सिंह कैंतुरा द्वारा लिखी गई थी, जिसका मंचन मुंबई में भी होता था। बाद में इसे आधुनिक रूप श्री सोहन सिंह गुसाईं ने दिया
पालिका अध्यक्ष ने की सराहना, कलाकारों का हुआ सम्मान
कार्यक्रम की सराहना करते हुए पालिका अध्यक्ष मोहन सिंह रावत ने कहा कि ऐसी सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ स्थानीय विरासत को संजोती हैं और आने वाली पीढ़ियों को अपनी परंपरा से जोड़ती हैं। उन्होंने भविष्य में भी इस टीम को आमंत्रित करने की बात कही।
कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों और तकनीकी टीम को सम्मानित किया गया।



