उत्तराखंडस्वास्थ्य

AIIMS ऋषिकेश में अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस पर ‘समावेशी समाज’ थीम में प्रेरक कार्यक्रम आयोजित

विशेषज्ञों ने कहा—दिव्यांगजन समाज का अभिन्न हिस्सा, रोबोटिक रिहैब से लेकर बायोनिक हैंड तक एम्स में उपलब्ध अत्याधुनिक सुविधाएं; ALIMCO की ओर से 20 लाभार्थियों को वितरित किए गए सहायक उपकरण।

अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ऋषिकेश के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग (PMR) के तत्वावधान में वर्ष 2025 की थीम “सामाजिक प्रगति के लिए दिव्यांगता समावेशी समाज का संवर्धन”पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिसमें मुख्य वक्ताओं ने दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने पर जोर दिया, कहा गया कि किसी भी तरह की दिव्यांगता से ग्रसितजन हों सभी हमारे समाज का अभिन्न हिस्सा हैं।   

पीएमआर विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में संस्थान की कार्यकारी निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह, संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो. डॉ. जया चतुर्वेदी एवं चिकित्सा अधीक्षक प्रो. डॉ. बी. सत्यश्री बतौर विशेष अतिथि उपस्थित रहीं।  

इस अवसर पर अपने संबोधन में एम्स निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने कहा कि दिव्यांगजनों को जीवन के प्रति सकारात्मक रहना चाहिए।

उन्हें जन्मजात अथवा किसी घटना से मिली दिव्यांगता से कदापि हार नहीं माननी चाहिए। 

निदेशक एम्स ने बताया कि संस्थागत स्तर पर दिव्यांगजनों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए रोबोटिक्स रिहेब्ल्टिेशन समेत कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिनकी सहायता से ग्रसित व्यक्ति की संपूर्ण क्षमता वापस आ सकती है, जिन दिव्यांगजनों के हाथ नहीं वह बायोनिक हैंड का इस्तेमाल करके वह पूर्व की भांति अपने रोजमर्रा की कार्य निर्बाध कर सकते हैं। लिहाजा ऐसे व्यक्तियों को जीवन के प्रति मायूस होने की बजाए अस्पताल में उपलब्ध सुविधाओं का लाभ लेना चाहिए व अपने जीवन को पहले की भांति सामान्य बनाना चाहिए। 

विभागाध्यक्ष डॉ. राजकुमार यादव ने बताया कि विभाग में दिव्यांगजनों की सहायता व उन्हें दोबारा से शारीरिकतौर पर पूर्ण सक्षम बनाने के लिए सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध हैं। जिनके माध्यम से दुर्घटना में अंगों के प्रभावित होने पर व्यक्ति की पूर्ण शारीरिक क्षमता बहाल हो जाती है। डॉ. यादव के मुताबिक हरसंभव प्रयास के बावजूद यदि किसी कारण से ऐसा संभव नहीं हो पाता है तो उस व्यक्ति को बाहरी उपकरणों के माध्यम से अपना कार्य सहजरूप में करने में सहायता की जाती है। 

 

बताया गया है कि कार्यक्रम का उद्देश्य दिव्यांगता के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाना एवं ऐसे लोगों को समाज में समावेशिता को प्रोत्साहित करना था।

कार्यक्रम के माध्यम से दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति समावेशिता एवं सकारात्मक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल देते हुए उनके समाज के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया गया। 

इस अवसर पर एएलआईएमसीओ (ALIMCO) के सहयोग से लगभग 20 दिव्यांग व्यक्तियों को सहायक उपकरण एवं ऐप्लायंसेज वितरित किए गए। इन उपकरणों में वाकर, ट्राइसाइकिल, कमोडचेयर, केन छड़ी आदि थे। कार्यक्रम के दौरान रोगियों के लिए चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें दिव्यांगजनों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया। 

प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में संस्थान के प्रोफेसर डॉ. बिनय कुमार बस्तिया, प्रोफेसर डॉ. प्रशांत पाटिल एवं प्रोफेसर डॉ. रश्मि मल्होत्रा शामिल रहे। प्रतियोगिता में अव्वल प्रदर्शन करने वाले विजेताओं को संस्थान की ओर से पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया। 

डॉ. इंदुलेखा, डॉ. राहुल शर्मा और नीलाक्षी तंवर के संयुक्त संचालन में आयोजित कार्यक्रम में PMR विभाग के रेसिडेंट डॉक्टर्स, अन्य स्टाफ और ALIMCO की प्रतिनिधि दीप्ति आदि उपस्थित रहे।

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