उत्तराखंड

जमीन का कब्जा हटाने की मांग को लेकर सुरकंडा मंदिर में धरना जारी, ग्रामीणों के नारों से गूंजा मंदिर स्थल

जमीन का कब्जा हटाने की मांग को लेकर सुरकंडा मंदिर में धरना जारी, ग्रामीणों के नारों से गूंजा मंदिर स्थल

नई टिहरी। 

सिद्धपीठ श्री सुरकंडा देवी मंदिर प्रांगण में सुरकंडा देवी मेला स्थल एवं धर्मशाला बचाओ संघर्ष समिति का धरना शनिवार को भी  जारी रहा। इस मौके पर श्रद्धालुओं का सम्मान करो, मेला स्थल आजाद करो आदि नारे जोर-शोर से गूंजे।

शनिवार को सिद्धपीठ सुरकंडा देवी मंदिर परिसर में पुलिस विभाग से जमीन का कब्जा हटाने की मांग को लेकर ग्रामीणों का धरना शनिवार को भी जारी रहा। इस मौके पर धरने पर बैठे ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन पुलिस विभाग के खिलाफ नारेबाजी कर रोष प्रकट किया और कहा कि जिस

ढालदार बुग्याल नुमा मैदान को पुलिस विभाग ने अपने संचार केंद्र( रिपीटर सेंटर) को पहले तीनों ओर से और बीते 31 अगस्त को मंदिर के आने जाने का रास्ता और धर्मशाला कि आगे कांटेदार तार बाड़ लगाकर उसे बंद कर दिया है उससे हजारों-यात्रियों श्रद्धालुओं के लिए के लिए मुसीबत पैदा हो गई है। ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस विभाग ने 1996 में वन विभाग से भूमि हेतु आवेदन किया था और लंबी प्रक्रिया के बाद 16 मई 2019 को पुलिस विभाग को लगभग 50 नाली भूमि लीज पर आवंटित की गई और इसी भूमि को आदि काल से ही मंदिर समिति से जुड़ी गतिविधियों के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। उक्त भूमि पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां होने के साथ-साथ यह प्रमुख मेला स्थल भी है। संघर्ष समिति का कहना है कि प्रशासन ने त्वरित कार्यवाही में धर्मशाला को आगे एवं सार्वजनिक रास्ते पर लगाई गई कांटेदार बाड़ को अविलंब हटा देना चाहिए। यह तार बाड़ जिलाधिकारी के 22 अगस्त 2022 के जनता दरबार में पारित आदेश का भी उल्लंघन है क्योंकि जनता दरबार में एसडीएम धनोल्टी से दोनों पक्षों के बीच वार्ता करने को कहा था, जो कि नहीं हुई। संघर्ष समिति का कहना है कि पुलिस रिपीटर सेंटर का विरोध नही है, उसे यथावत रहने दिया जाए लेकिन जिस भूमि का उपयोग मंदिर समिति की गतिविधियों के लिए आदि काल से किया जाता रहा है। पुलिस उस भूमि का कब्जा छोड़े और उस भूमि को मंदिर के नाम किया जाए। धरने पर बैठे लोगों ने कहा कि यदि एक सप्ताह के अंदर सकारात्मक कार्यवाही नहीं हुई तो आंदोलन की नई रणनीति तय की जाएगी। धरने पर बैठने वालों में वरिष्ठ गांधीवादी नेता विजय जड़धारी, राजेंद्र सिंह, कलम सिंह, रमेश धरवाल, साहब सिंह, योगेश उनियाल, मनवीर जड़धारी, प्रमोद सिंह, राजपाल सिंह, भीम सिंह, आशीष सिंह नेगी आदि शामिल हैं।

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