विक्रम बिष्ट
विधानसभा चुनाव, मुद्दे फिर किनारे जैसी आशंकाएं थीं चुनाव के कोलाहल में उत्तराखंड के अस्तित्व के सवाल फिर किनारे धकेल दिए जाएंगे, यही हो रहा है। हमारे पूर्वजों का स्पष्ट संदेश है, मंत्र सिद्धि के लिए आसन्न (स्थान) शुद्ध होना आवश्यक है। स्थान होगा तो उसे शुद्ध करने के प्रयास करें। उत्तराखंड देश में अकेला राज्य है जिसकोअपना भू-कानून बनाने का अधिकार नहीं है। इसकी नदियों, जंगलों के सौदे और करते हैं। यहां के मूलनिवासियों को दोयम दर्जे के नागरिक बनाने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं कौन जिम्मेदार है ? 21सालों से मुखोटों की अदला-बदली के साथ वही नहीं हैं? बीते साल समझदार, संस्कारी युवाओं ने मूल निवास, भू-कानून, स्थाई राजधानी सहित बुनियादी मुद्दों को बहस के केंद्र में लाने की जोरदार मुहिम शुरू की थी लम्पट राजनीति वेष बदल-बदल कर इन कोशिशों को हाशिये पर धकेल देगी, इन आशंकाओं के बीच फिर भी इस बार कुछ उम्मीदें थीं चुनावों की शुरुआत नेताओं की तू आ मैं जा के कोलाहल के साथ हुई। अब ये उत्तराखंड के भविष्य के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं हुआ,, हू,,हुआ’;- के इस रुदन के बावजूद अपने युवा साथियों का मनोबल निरंतर मजबूत होगा, यह चुनाव किवाड़ों पर दस्तक देगा जरूर!