बड़ी खबर : लापरवाही पर कार्रवाई, विश्वविद्यालय ने 17 संस्थानों के प्रवेश पोर्टल किए बंद, जानिए क्यों
बड़ी खबर : लापरवाही पर कार्रवाई, विश्वविद्यालय ने 17 संस्थानों के प्रवेश पोर्टल किए बंद, जानिए क्यों

श्री देव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय ने संबद्ध स्ववित्तपोषित संस्थानों की लापरवाही पर बड़ा कदम उठाते हुए 17 कॉलेजों के प्रवेश और परीक्षा परिणामों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि नियमानुसार निरीक्षण और फैकल्टी अनुमोदन न कराने वाले कॉलेजों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
16 जून को हुई थी अहम बैठक
विश्वविद्यालय मुख्यालय में 16 जून 2025 को सभी संबद्ध स्ववित्तपोषित संस्थानों के प्राचार्यों, अध्यक्षों और निदेशकों की बैठक आयोजित की गई थी। बैठक का उद्देश्य लंबित संबद्धता मामलों को सुलझाना था। विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्पष्ट निर्देश दिए थे कि एक सप्ताह के भीतर सभी संस्थान निरीक्षण एवं फैकल्टी अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी करें।
प्रोफेसर जोशी ने जानकारी दी कि उनके कार्यभार ग्रहण करने के बाद विश्वविद्यालय की ओर से 12 रिमाइंडर भेजे गए, जिसमें संस्थानों को 25 मार्च 2025 तक जरूरी दस्तावेज और निरीक्षण रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा गया था। इसके बावजूद भी 17 संस्थानों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
इन 17 संस्थानों पर गिरी गाज
लापरवाही बरतने वाले संस्थानों के:
प्रवेश पोर्टल तत्काल प्रभाव से बंद कर दिए गए हैं।
परीक्षा परिणामों की घोषणा रोक दी गई है।
संस्थानों की सूची इस प्रकार है:
1. बीएसएम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, रुड़की
2. बीएसएम (पी.जी.) कॉलेज, रुड़की
3. दून इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एंड एलाइड साइंसेज, देहरादून
4. गढ़वाल महाविद्यालय, उत्तरकाशी
5. ज्ञान उदय कॉलेज ऑफ हायर एजुकेशन, रुड़की
6. आइडियल बिजनेस स्कूल, हरिद्वार
7. इंस्टीट्यूट ऑफ मीडिया मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी, देहरादून
8. जीवन ज्योति कॉलेज, खानपुर
9. एम.पी.जी. कॉलेज, मसूरी
10. एन.डब्ल्यू.टी. कॉलेज, देहरादून
11. एस.बी. कॉलेज ऑफ एजुकेशन, विकासनगर
12. संस्कृति इंस्टीट्यूट, हरिद्वार
13. एसजीबीजी मेमोरियल कॉलेज, चमोली
14. सृष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन, रुड़की
15. उत्तरांचल कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, देहरादून
16. उत्तरांचल पी.जी. कॉलेज, हरिद्वार
17. वी.एम.के. पी.जी. कॉलेज, मंगलौर
विश्वविद्यालय की चेतावनी: लापरवाही नहीं की जाएगी बर्दाश्त
विश्वविद्यालय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शैक्षणिक गुणवत्ता, प्रशासनिक पारदर्शिता और नियमानुसार संचालन में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। यह कार्यवाही अन्य संस्थानों के लिए भी एक चेतावनी है कि यदि भविष्य में किसी प्रकार की लापरवाही पाई गई तो और अधिक सख्त कदम उठाए जाएंगे।