टिहरी की उषा नकोटी , सरकार की योजनाओं से सीखी बुनाई, अब 30 महिलाओं को दे रहीं रोजगार
टिहरी की उषा नकोटी , सरकार की योजनाओं से सीखी बुनाई, अब 30 महिलाओं को दे रहीं रोजगार

उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जनपद के चंबा विकासखंड की निवासी उषा नकोटी आज के प्रतिस्पर्धी दौर में अपनी मेहनत और संकल्प के बल पर न केवल खुद को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही हैं, बल्कि दर्जनों ग्रामीण महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान कर रही हैं। हथकरघा उद्योग के माध्यम से उन्होंने 25 से 30 महिलाओं को स्थायी रोजगार से जोड़ा है और महिला सशक्तिकरण की नई मिसाल पेश की है।
हथकरघा से बने उत्पादों की बढ़ती मांग
अपने हथकरघा उद्योग में उषा अंगोरा शॉल, स्वेटर, पँखी, मफलर, ऊनी कोट, कंबल, स्टॉल, टोपी और पैरों के मोज़े जैसे विभिन्न उत्पाद तैयार कर रही हैं, जिन्हें स्थानीय बाजार के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न प्रदर्शनियों में भी बेचा जा रहा है। उनका व्यवसाय लगातार विस्तार कर रहा है।
सरकारी प्रशिक्षण से शुरू हुआ सफर
साल 2002 में उषा नकोटी ने उद्योग विभाग, टिहरी गढ़वाल से प्रशिक्षण प्राप्त कर हथकरघा उद्योग में कदम रखा। उन्होंने शुरुआत में आस-पास के गांवों की महिलाओं को भी प्रशिक्षण देना शुरू किया और आज उनके साथ 5 हथकरघा मशीनें और 3 निटिंग मशीनें कार्यरत हैं। उषा इस कारोबार से प्रतिमाह लगभग ₹30,000 की आय अर्जित कर रही हैं, जबकि उनके साथ कार्यरत महिलाओं को प्रतिदिन लगभग ₹300 की मजदूरी मिलती है, जिससे वे भी अपने परिवार का सहयोग कर पा रही हैं।
ग्रामीण महिलाओं को मिला नया सहारा
गांव की कई महिलाएं घरेलू कामकाज के साथ-साथ उषा के वस्त्र भंडार में काम कर आर्थिक स्वतंत्रता हासिल कर रही हैं। उषा न केवल एक सफल उद्यमी हैं, बल्कि वे “कुटिल उद्योग कल्याण समिति” की अध्यक्ष भी हैं, जिसके अंतर्गत 12 स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं और विभिन्न लघु उद्योगों में कार्य कर रहे हैं।
अंगोरा ऊन से बने शॉल की जबरदस्त डिमांड
उषा नकोटी के अनुसार, अंगोरा ऊन से बने उत्पादों की बाजार में अत्यधिक मांग है। उन्होंने अंगोरा नस्ल के 200 से अधिक खरगोशों का पालन शुरू किया है, जिससे उन्हें ऊन किफायती दर पर प्राप्त हो जाती है। इससे वे हर वर्ष लगभग 2000 से 3000 अंगोरा ऊन से बने शॉल और स्वेटर बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।
प्रदर्शनियों से मिलती है नई उड़ान
उषा कहती हैं कि भारत सरकार के वस्त्र मंत्रालय और उद्योग विभाग द्वारा समय-समय पर आयोजित प्रदर्शनियां उनके व्यवसाय को नई पहचान देने में सहायक रही हैं। इन मंचों के जरिए उन्हें अपने उत्पाद विभिन्न राज्यों में बेचने और ब्रांड बनाने का मौका मिला है। इसके अलावा जिला उद्योग केंद्र और खादी विभाग की प्रदर्शनियों में भी वे नियमित रूप से भाग लेती हैं।