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टिहरी : जंगलों में आग: करोड़ों की वन संपदा नष्ट, पर्यावरण संकट गहराया

टिहरी : जंगलों में आग: करोड़ों की वन संपदा नष्ट, पर्यावरण संकट गहराया

( मनमोहन सिंह, टिहरी )

उत्तराखंड में गर्मी के कहर के बीच जंगलों में भयंकर आग ने व्यापक विनाश मचाया है। बढ़ती तापमान और सूखे की वजह से राज्य के विभिन्न हिस्सों में जंगलों में आग लगने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिससे करोड़ों रुपये की वन संपदा जलकर खाक हो गई है और पर्यावरण गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है।

टिहरी जिले में तबाही

टिहरी जिले के बाल गंगा रेंज के बूढ़ाकेदार क्षेत्र के चानी बैंड से सौडो नमक तोक में चीड़ और देवदार के सैकड़ों पौध जलकर नष्ट हो गए हैं। कई हेक्टेयर भूमि पर फैली इस आग ने वन संपदा को भारी नुकसान पहुंचाया है। वन विभाग आग पर काबू पाने में नाकाम साबित हो रहा है, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है।

निवाल गांव के समीप आग का तांडव

बूढ़ाकेदार क्षेत्र के निवाल गांव के पास भी बांज और बुंरश के जंगलों में आग लगने से कई हेक्टेयर भूमि जलकर नष्ट हो चुकी है। शनिवार देर रात धर्म गंगा चेक डैम थाती बूढ़ाकेदार की निवाल गांव के समीप नर्सरी भी आग की चपेट में आ गई, जिससे सैकड़ों पौधे जलकर खाक हो गए।

पर्यावरणीय संकट

इस विनाशकारी आग ने न केवल वन संपदा को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि पर्यावरण को भी गंभीर रूप से दूषित कर दिया है। धुएं और कार्बन उत्सर्जन के कारण वायु गुणवत्ता में गिरावट आई है, जो स्थानीय निवासियों और वन्यजीवों के लिए खतरा बन गई है।

वन विभाग की असफलता

वन विभाग की आग पर काबू पाने की नाकामी ने स्थिति को और विकट बना दिया है। आवश्यक संसाधनों और कर्मियों की कमी के कारण आग को समय पर नहीं बुझाया जा सका, जिससे नुकसान की भरपाई असंभव हो गई है।

आवश्यक कदम

इस विकट परिस्थिति में आवश्यक है कि राज्य सरकार और वन विभाग मिलकर त्वरित और प्रभावी कदम उठाएं। आग बुझाने के आधुनिक उपकरणों का उपयोग, वन क्षेत्र में निगरानी बढ़ाना और स्थानीय समुदाय को जागरूक करना अनिवार्य हो गया है।

उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग ने सभी को चेताया है कि हमें अपने पर्यावरण और वन संपदा की सुरक्षा के लिए सतर्क रहना होगा। समय पर कार्रवाई और सही कदम उठाने से ही हम इस संकट से उबर सकते हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोक सकते हैं

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