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उलटबांसी: वर्कचार्ज कर्मी पेंशन प्रकरण,उलटी दिशा में घुमाने का प्रयास

उलटबांसी: वर्कचार्ज कर्मी पेंशन प्रकरण,उलटी दिशा में घुमाने का प्रयास

 

विक्रम बिष्ट नई टिहरी

सरकारी नीतियां लोगों के अच्छे भविष्य के मद्देनजर बनायी जाती हैं। लेकिन उत्तराखण्ड सरकार वर्कचार्ज कर्मचारियों की पेंशन नीति को उलटी दिशा में घुमाने का प्रयास करती दिख रही है।

   यूपी के समय से ही उत्तराखण्ड में सिंचाई एवं लोक निर्माण विभाग में सैकड़ों कर्मचारी वर्कचार्ज पर सेवाएं दे रहे थे। पूर्व कर्मचारी नेता योगेन्द्र नेगी के अनुसार इनकी संख्या लगभग ढा़ई हजार थी। लेकिन इनके लिए सेवानिवृत्त के बाद पेंशन नीति नहीं बनाई गई थी।

   सर्वोच्च न्यायालय ने प्रेम सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य के मुकदमे में इन कर्मचारियों के पेंशन के दावे को नियमों के तहत सही ठहराया था। न्यायालय के आदेश के अनुसार उत्तराखण्ड सिंचाई एवं लोक निर्माण विभाग ने 4 फरवरी 2000 को सेवानिवृत्त वर्कचार्ज कर्मचारियों को उनके सेवा काल को शामिल कर पेंशन सहित अनुमन्य लाभ देने के आदेश जारी किए थे।

    मई 2023 तक इन कर्मचारियों को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (N.P.S.) से पुरानी पेंशन योजना (0.P.S.) में हस्तांतरित किया गया है। 817 सेवानिवृत्त कार्मिकों को ओपीएस के तहत विभिन्न कोषागारों से पेंशन जारी की गई है। 190 कार्मिकों के पेंशन प्रकरण पुनरीक्षित किये गए हैं। शेष कार्मिकों को देय पेंशन उनके जी.पी.एफ. खातों में हस्तांतरित की गई हैं।

       इस बीच उत्तराखण्ड सरकार ने नया पेंशन विधेयक पारित करवाया है। और इसे दशकों पुरानी नीति के अनुसार लागू किया जाना है। इस सन्दर्भ में शासन ने वित्त सचिव की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है। समिति को 10 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट देनी है।। श्री नेगी ने इसे कार्मिकों के साथ धोखा और सर्वोच्च अदालत की अवमानना करार दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि कार्मिकों की पेंशन बंद की जाएगी तो हम अदालत की अवमानना का मुकदमा दायर करेंगे।

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